Friday, October 7, 2011

पीओके में चीनी मौजूदगी पर संघ ने केंद्र को घेरा


नागपुर। पीओके में चीनी लोगों की मौजूदगी को बेहद गंभीर मुद्दा मानते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने गुरुवार को इस मुद्दे पर केंद्र को घेरा। उसने केंद्र सरकार से अपील की कि देश के सीमावर्ती क्षेत्रों में आवश्यक बुनियादी ढांचा तैयार किया जाए और चौकसी बढ़ा दी जाए। यही नहीं सांप्रदायिक हिंसा विधेयक के मसौदे को लोकतांत्रिक मूल्यों को नुकसान पहुंचाने के लिए विकृत विचारधारा वाली बुद्धि की उपज करार देते हुए संघ ने राष्ट्रीय एकता परिषद (एनएसी) की संवैधानिक स्थिति पर भी सवाल खड़े किए। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने यहां दशहरा रैली में कहा कि लेह लद्दाख क्षेत्र में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और कथित तौर पर दक्षिण चीन सागर में भारतीय जलपोतों को धमकाना अंतरराष्ट्रीय संधि के सिद्धांतों का उल्लंघन है। भारत को 1962 के चीनी हमले से सीख लेनी चाहिए। हमें बांग्लादेश सीमा पर भी सुरक्षा मजबूत करनी होगी ताकि घुसपैठ और मवेशियों, मादक पदार्थो और हथियारों के अवैध कारोबार तथा नकली नोट जैसी समस्याओं पर काबू पाया जा सके। सांप्रदायिक हिंसा बिल पर भागवत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने भी संशोधित मसौदा तैयार करने का आश्वासन दिया है पर प्रस्तावित कानून विकृत विचारधारा है जिससे संविधान की भावना ही नष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस विधेयक को लाने के किसी भी प्रयास का जोरदार विरोध किया जाएगा। स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए भागवत ने किसी का नाम लिए बिना संप्रग अध्यक्ष की अगुआई वाली एनएसी की संवैधानिक स्थिति और अधिकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने प्रस्तावित विधेयक का जिक्र करते हुए कहा कि इससे एनएसी जैसी संविधान से इतर संस्थाओं को व्यापक अधिकार मिलेंगे जो लोक प्रशासन के मूल सिद्धांत के खिलाफ है। देश को धर्मशाला बना रहे घुसपैठिए : जोशी कानपुर : संघ के सरकार्यवाह सुरेश सदाशिव जोशी उर्फ भैयाजी ने कहा कि हमारे पड़ोसी घुसपैठ कराकर देश को धर्मशाला बना रहे हैं। अब देश के नेतृत्व को शक्तिशाली बनकर इससे निपटना होगा। उन्होंने कहा कि एनएसी का सांप्रदायिक एवं लक्षित हिंसा कानून का प्रस्ताव हिंदुओं को बांटने वाला है। यहां संघ के 86वें स्थापना दिवस एवं विजयदशमी के कार्यक्रम में उन्होंने कहा, कोई भी देश अपने यहां विदेशी को अवैध रूप से रहने की अनुमति नहीं देता, पर भारत में बांग्लादेशी घुसपैठ एक बड़ी समस्या है। केंद्र सरकार राजनीतिक लाभ व वोट बैंक के लालच में चुप बैठी है। अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की सीमाओं पर चीन पहुंच चुका है।

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