Monday, July 25, 2011

भारत-पाक वार्ता में छाया रहेगा फाई

नई दिल्ली (23 जुलाई 2011)। अगले सप्ताह होने वाली भारत-पाकिस्तान बातचीत के दौरान कश्मीर को लेकर आईएसआई की मदद से अलगाववादी नेता गुलाम नबी फाई द्वारा चलाए जाने वाले दुष्प्रचारों पर बातचीत होगी। इसके बाद दोनों ही देशों की तरफ से सीमा पार होने वाले व्यापार और यात्राओं को लेकर विश्वास बहाली के कई उपायों की भी घोषणा की जाएगी।

सरकारी सूत्रों ने शनिवार को बताया कि भारत और पाकिस्तान के बीच फिर से बातचीत को शुरू किए जाने के बाद दोनों मुल्कों के बीच तनाव में कमी आई है और ‘बेहतर संवाद’ की स्थिति भी बनी है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच कई द्विपक्षीय मुद्दों को लेकर बैठकें भी हुई हैं और इसके परिणाम भी अच्छे रहे हैं।

गौरतलब है कि पिछले साल थिंपू में दोनों मुल्कों के प्रधानमंत्रियों ने आपसी अविश्वास को पाटने की बात कही थी। सूत्रों के मुताबिक यह अच्छी शुरुआत है। आगामी 27 जुलाई को भारत के विदेश मंत्री एसएम कृष्णा और पाकिस्तानी विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार के बीच विदेश मंत्री स्तर की बातचीत होने जा रही है।

आगामी 27 जुलाई को होने वाली भारत-पाक बातचीत के दौरान भारतीय पक्ष पाकिस्तान से मुंबई आतंकवादी हमला मामले में कार्रवाई किये जाने की आवश्यकता पर जोर देगा। खार के हुर्रियत प्रतिनिधियों से मिलने की योजना को लेकर पूछे जाने पर सूत्रों ने बताया कि यह एक खराब विचार है, लेकिन भारत उनसे यह उम्मीद करता है कि वे उसे शांति की भाषा समझाएंगी।

पाकिस्तानी अधिकारियों को अलगाववादियों का संरक्षणकर्ता करार देते हुए सूत्रों ने कहा कश्मीर में अलगाववादी आंदोलन को सीमा पार से लगातार समर्थन मिल रहा है और घाटी में आतंकवादियों और पाकिस्तानी अधिकारियों के बीच संबंध हैं।

फाई की गतिविधियों के खिलाफ भारत द्वारा लंबे समये से अमेरिका के समक्ष इस मामले को उठाए जाने पर जोर देते हुये उन्होंने कहा कि हम बातचीत के दौरान इस मुद्दे पर पाकिस्तान से चर्चा करेंगे।

भारत की नजर में फाई की गिरफ्तारी का अत्यधिक महत्व है और भारत को यह उम्मीद है कि लंदन और ब्रूसेल्स में फाई के सहयोगियों नजीर अहमद शाल और अब्दुल मजीद त्रंबू के लिये अपनी गतिविधियों को चलाना अब मुश्किल हो जायेगा ।

गौरतलब है कि फाई को 19 जुलाई को आईएसआई की मदद से कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों और नीति निर्माताओं को प्रभावित करने के आरोप में वर्जीनिया से गिरफ्तार किया गया था।

फाई के आयोजित कार्यक्रमों में जम्मू-कश्मीर के लिए नियुक्त किए वार्ताकार दिलीप पड़गांवकर के शामिल होने के आरोपों को कमतर करते हुए सूत्रों ने बताया कि उन्होंने शायद इन सेमिनारों में इसलिए भाग लिया होगा ताकि ‘विरोधाभासी विचारों’ को प्रस्तुत किया जा सके।

पड़गांवकर पर फैसला करे केन्द्र

कश्मीर कमेटी ने आज कहा कि जम्मू-कश्मीर के मुख्य वार्ताकार दिलीप पड़गांवकर को फाई के संदर्भ में अधिक सतर्कता बरतनी चाहिए थी। कमेटी ने साथ ही कहा कि उनके भविष्य को लेकर सरकार को फैसला करना चाहिए।

कश्मीर कमेटी के प्रमुख और न्यायविद राम जेठमलानी ने कहा कि यह (पड़गांवकर को बर्खास्तगी का) फैसला सरकार को करना है। फाई के संगठन द्वारा आयोजित सम्मेलनों में मुख्य वार्ताकार के भाग लेने के खुलासे के चलते पड़गांवकर के भविष्य के बारे में पूछे सवालों के जवाब में जेठमलानी ने यह टिप्पणी की। (भाषा)
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