Thursday, November 17, 2011

केंद्र सेना को दे अफस्पा पर फैसले का अधिकार


जम्मू। पूर्व उपप्रधानमंत्री व वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी ने जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) को बरकरार रखने की पैरवी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार सेना को इस मुद्दे पर फैसला लेने का अधिकार दे। जनचेतना यात्रा के 36वें दिन (16 नवम्बर को) जम्मू पहुंचे आडवाणी गांधीनगर के दशहरा ग्राउंड में रैली को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने आतंकवाद के प्रति कमजोर नीति के लिए केंद्र व राज्य सरकार को जमकर लताड़ा। उन्होंने कहा, दोनों सरकारों के रुख से आतंक के समर्थकों को प्रेरणा मिल रही है। आतंकवाद से लड़ रही सेना का मनोबल गिराया जा रहा है। सेना के योगदान की सराहना करते हुए पूर्व गृहमंत्री आडवाणी ने कहा कि सैनिकों ने शहादत देकर राज्य को देश का अभिन्न अंग बनाए रखा है।

आतंकवाद के प्रति केंद्र सरकार के रवैए को नरम करार देते हुए आडवाणी ने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पाकिस्तानी समकक्ष को शांतिदूत का दर्जा रहे हैं। हमारी नीति आतंकवाद के प्रति जीरो टालरेंस (शून्य प्रतिरोध) की है। एनडीए सरकार के दौरान भारत-पाकिस्तान आगरा शिखर वार्ता में मुशर्रफ के आतंकियों को स्वतंत्रता सेनानी कहने पर पड़ोसी देश से कोई समझौता नहीं हुआ। 

पूर्व उप-प्रधानमंत्री आडवाणी ने कहा कि राज्य में अगर वर्ष 1953 से पहले की स्थिति बहाल हुआ तो दूसरा आंदोलन होगा। इसका खामियाजा केंद्र की कांग्रेस-नीत यूपीए सरकार भुगतेगी। उन्होंने कहा कि राज्य में दो प्रधान, दो विधान, दो निशान के खिलाफ आंदोलन करने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की कुर्बानी को व्यर्थ नहीं जाने दिया जाएगा। आडवाणी ने याद दिलाया कि यह डॉ. मुखर्जी के आंदोलन का नतीजा है कि जम्मू-कश्मीर में तिरंगा फहराया जा रहा है और देश में एक राष्ट्रपति, एक प्रधानमंत्री है।

उमर को आतंकवाद की लड़ाई का अंदाजा नहीं
भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष जेटली ने कहा कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को अंदाजा नहीं है कि आतंकवाद से कैसे लड़ा जाता है। वह कुर्बानियां दे रही सेना के विशेषाधिकार खत्म करने के मुद्दे पर एक महीने से बहस कर राज्य में सक्रिय देश विरोधी तत्वों का मनोबल बढ़ा रहे हैं।
जेटली ने कहा कि यह कैसी सोच है। पहले सेना से रक्षा करवाओ फिर अधिकार वापस लेकर उसके खिलाफ मुकदमे चलाओ। उमर को अंदाजा नहीं है कि विशेषाधिकार न होने के परिणाम क्या होंगे। आतंकवादी भागते हुए जब श्रीनगर जिले में घुस जाएंगे तो क्या सेना यह सोच कर रुक जाएगी कि वहां जाने के अधिकार उनके पास नहीं हैं। पूर्व केंद्रीय विधित मंत्री जेटली ने कहा कि एनडीए सरकार ने आतंकवाद से निपटने के लिए पोटा बनाया, जबकि यूपीए संसद पर हमला करने वालों और राजीव गांधी के हत्यारों को बचा रही है। जम्मू-कश्मीर को लेकर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी व जवाहर लाल नेहरू के दृष्टिकोण के अंतर को उजागर करते हुए जेटली ने कहा कि डॉ. मुखर्जी के प्रयासों की बदौलत राज्य देश का अभिन्न अंग है, जबकि नेहरू की कश्मीर नीति के परिणाम 64 साल बाद भी भुगतने पड़ रहे हैं।

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