Sunday, August 14, 2011

17 साल बाद जेकेएलएफ फिर एक

श्रीनगर। कश्मीर में खूनी आतंक का इतिहास लिखने वाले पूर्व आतंकी संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के दो प्रमुख धडे़ (मलिक व अमानुल्ला) 17 साल बाद फिर एक हो गए। दोनों गुटों ने आपसी विवादों को हल करने व एकीकृत जेकेएलएफ की अगली साझा रणनीति तैयार करने के लिए आठ सदस्यीय समिति का भी गठन किया है। कश्मीर की अलगाववादी सियासत में इस घटनाक्रम को बड़ा अहम माना जा रहा है।

विशेषज्ञों के अनुसार, यह गठजोड़ कश्मीर की अलगाववादी सियासत में ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस के मुकाबले ज्यादा मजबूत हो सकता है। मलिक और अमानुल्ला के गठजोड़ के बाद जेकेएलएफ के अन्य छोटे गुटों के भी एकीकृत होने की उम्मीद जताई जा रही है। सूत्रों के अनुसार मुहम्मद यासीन मलिक व अमानुल्ला खान के बीच गत दिनों पाकिस्तान में बैठकें हुई। इसमें कश्मीरियों के हक के लिए जारी संघर्ष को मंजिल तक पहुंचाने के लिए समान विचारधारा वाले संगठनों की एकता पर जोर दिया गया। इसके बाद मलिक व अमानुल्ला खान ने फिर से हाथ मिला लिया।
मालूम हो कि अशफाक मजीद वानी की मार्च 1992 में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मौत हो गई थी। इसके बाद ही यासीन मलिक जेकेएलएफ के राज्य में चीफ कमांडर बने थे। इसके कुछ ही दिनों बाद मलिक पकड़े गए। सन् 1994 में वह जेल से रिहा हुए। इसके बाद उनका अमानुल्ला से विवाद हो गया। मलिक ने खुद को जेकेएलएफ का चेयरमैन घोषित कर एलान किया कि अब वह आतंक नहीं बल्कि सियासत के जरिए कश्मीर की आजादी की वकालत करेंगे। इसके बाद जेकेएलएफ दो गुटों में बंट गया था। (दैनिक भास्कर)

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