Thursday, August 18, 2011

कश्मीर में स्वतंत्रता दिवस


कश्मीर में अलगाववादियों के आए दिन के बंद-प्रदर्शनों और सीमापार से होने वाले घुसपैठ के तमाम प्रयासों के बीच जम्मू-कश्मीर में 65वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के शांतिपूर्वक माहौल में संपन्न होने का श्रेय नि:संदेह सुरक्षाबलों को जाता है। राज्य में दो दशकों से भी अधिक समय से जारी आतंकवाद के दौरान गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस जैसे राष्ट्रीय पर्वों पर हर बार आतंक का साया होने से इन्हें मनाने की औपचारिकता ही मनाई जाती रही है मगर अब गत कुछ वर्ष से जम्मू के परेड स्थित मिनी स्टेडियम और श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में समारोह को लेकर जिस प्रकार से लोगों में उत्साह देखने को मिलता है, उससे राज्य सरकार का विश्वास भी और बढ़ रहा है। हालांकि कश्मीर में अलगाववादियों का स्वतंत्रता दिवस समारोह को बाधित करने का पूरा प्रयास रहता है मगर श्रीनगर, बारामुला, अनंतनाग, पुलवामा, शौपियां सहित सभी दस जिलों में तिरंगा जिस शान से लहराया, उससे देश विरोधियों को करारा झटका लगा है। यही नहीं राज्य के किसी भी हिस्से से कोई अप्रिय घटना की सूचना न मिलने से जहां सुरक्षा एजेंसियां राहत की सांस ले रही हैं, वहीं प्रशासन भी इसके लिए बधाई का पात्र है। यह अच्छी बात है कि समारोह के आयोजन के दौरान किए जाने वाले अभूतपूर्व सुरक्षा प्रबंधों से होने वाली असुविधाओं को दूर करने के लिए प्रशासन ने उचित कदम उठाए। यह इसी का नतीजा है कि गली-मोहल्लों में भी तिरंगा फहराने वालों की भीड़ लगी रही। हर वर्ष अब जिस प्रकार से लोगों में देशभक्ति और राष्ट्रीय भावना को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है, उससे यह साफ है कि अब पड़ोसी देश चाहे राज्य में आतंकवाद की ज्वाला को भड़काने के कितने भी प्रयास करे और अलगाववादी भी अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दें, मगर राज्य में आतंकवाद के दिन अब गिने-चुने ही रह गए हैं। सरकार को बस थोड़ी सतर्कता बरतने की जरूरत है। वहीं लोगों का भी यह दायित्व बनता है कि वह राज्य में शांति बहाली के लिए उठाए जा रहे सभी कदमों में सरकार का पूरा साथ दें क्योंकि पाकिस्तान की कोशिश है कि जम्मू-कश्मीर में शांति के माहौल को किसी तरह बिगाड़ा जाए। 

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