Monday, August 1, 2011

पडगांवकर को नहीं हटाना चाहता है केंद्र

नई दिल्ली। कश्मीर पर केंद्र के वार्ताकारों के प्रमुख दिलीप पडगांवकर के खिलाफ उठ रही आवाज के बावजूद केंद्र सरकार इस मामले में उनकी भूमिका को गलत नहीं मान रही। पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए काम करने के आरोप में अमेरिका में गिरफ्तार गुलाम नबी फई की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में भागीदारी की जानकारी के बाद से दिलीप पडगांवकर पर चारो तरफ से दबाव बनाया जा रहा है। गृह मंत्रालय के वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक पडगांवकर की प्रतिष्ठा हमेशा से एक ऐसे व्यक्ति की रही है जिसकी मान्यता सभी पक्ष के लोगों में है। इसी वजह से उन्हें वार्ताकार बनाया गया है। फिर वे एक वरिष्ठ पत्रकार भी हैं। इस नाते उनके किसी कार्यक्रम में जाने या बोलने पर एतराज नहीं किया जा सकता। उनके बारे में ये जानकारियां पहले से उपलब्ध रही हैं। मगर भारत सरकार इस तरह की भागीदारी पर कभी रोक नहीं लगाती। यहां अभिव्यक्ति की पूरी स्वतंत्रता दी जाती है।

सूत्रों के मुताबिक फई के संगठन कश्मीर अमेरिकी परिषद की ओर से आयोजित कार्यक्रमों में भागीदारी के दौरान पडगांवकर ने कोई आपत्तिजनक बात नहीं कही है। न ही उनका इस संगठन से कोई और संबंध रहा है। अगर उनके खिलाफ कोई नया गंभीर तथ्य सामने आता है तो जरूर उसके मुताबिक काम किया जाएगा। लेकिन मौजूद तथ्यों के आलोक में ऐसी कोई स्थिति नहीं बनती। पडगांवकर के खिलाफ राज्य के कई संगठनों ने तो अंगुली उठाई ही है, वार्ताकारों के दल में उनके सहयोगी एमएम. अंसारी ने भी फई के कार्यक्रम में जाने को लेकर पडगांवकर की आलोचना की है।

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