Monday, August 8, 2011

कश्मीर को कुछ स्वायत्तता देने के पक्ष में वार्ताकार

नई दिल्ली। कश्मीर पर केंद्र के वार्ताकारों के दल ने अपनी रिपोर्ट में कश्मीर को कुछ स्वायत्तता लौटाने को जरूरी माना है। साथ ही इसने घाटी से खदेड़ दिए गए कश्मीरी पंडितों की वापसी को भी उतना ही आवश्यक बताया है। दिलीप पडगांवकर के नेतृत्व में गठित वार्ताकारों का यह दल जल्दी ही अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपने वाला है।

वरिष्ठ सूत्रों के मुताबिक वार्ताकार दल ने अपनी रिपोर्ट में राज्य की स्वायत्तता को लौटाने का अनुरोध किया है। हालांकि इसमें बहुत साफ तौर पर इस दिशा में कुछ न कह कर केंद्र को अपने स्तर पर इसकी सीमा और मौके तलाशने को कहा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि कश्मीर समस्या पर कोई भी फार्मूला राज्य के अन्य दो क्षेत्रों की जन आकांक्षाओं को नजरअंदाज कर कामयाब नहीं हो सकता। इसमें जम्मू और लद्दाख क्षेत्र की जरूरतों को ध्यान में रखना जरूरी होगा। वार्ताकारों के मुताबिक धारा-370 के प्रावधानों को पिछले कुछ समय में लगातार कमजोर किया गया है। इससे घाटी के लोगों में अविश्वास बढ़ा है। इन प्रावधानों को फिर से मजबूत किया जाना जरूरी है। लंबे समय से स्वायत्तता की मांग कर रहे घाटी के लोगों की भावनाओं का सम्मान करने के लिए ऐसा किया जाना बेहद जरूरी लगता है, लेकिन बाकी दोनों क्षेत्रों की जनता की भी अपनी आकांक्षाएं हैं।

कश्मीरी पंडितों का पुनर्वास एक और अहम मसला है, जिस पर ध्यान दिया जाना जरूरी है। पांच लाख पंडितों को दुबारा बसाया जाना होगा। इस संदर्भ में किए गए अब तक के सरकारी प्रयासों का कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। उन लोगों का भी ध्यान रखना होगा, जिन्होंने आतंकवाद के बढ़ने के बाद अपनी जमीन जायदाद कौडि़यों के दाम बेच दी।

(साभार : दैनिक जागरण/9/8/2011)

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