Monday, December 13, 2010

चीन की नत्थी वीजा नीति बदली!

नई दिल्ली। लगता है चीन ने जम्मू-कश्मीर के निवासियों को अलग से वीजा जारी करने की अपनी नीति को बदल दिया है। चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के 15 दिसंबर से शुरू हो रहे दौरे के पूर्व कश्मीरियों को स्टैप्ल्ड [नत्थी] की जगह स्टांप्ड [मुहर लगा] वीजा देना शुरू कर दिया गया है।

ग्वांग्झू एशियाई खेल के समापन समारोह में कार्यक्रम पेश करने के लिए जम्मू-कश्मीर निवासी गायिका तान्या गुप्ता स्टांप्ड वीजा पर ही चीन गई थीं। गुप्ता सहित तीन कश्मीरियों को नई दिल्ली स्थित चीनी दूतावास ने हाल ही में स्टांप्ड वीजा ही जारी किया था। हालांकि दूतावास के अधिकारियों ने इस तरह के किसी वीजा के जारी होने को लेकर अनभिज्ञता जताई है।

ध्यान रहे कि भारत के विरोध के बावजूद चीन जम्मू-कश्मीर के निवासियों को स्टैप्ल्ड [नत्थी] वीजा जारी कर रहा है। वह पासपोर्ट के साथ एक अलग कागज को नत्थी कर वीजा प्रदान कर रहा है। चीन की इस कार्रवाई का भारत ने तगड़ा विरोध किया। खुद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अक्टूबर में आसियान सम्मेलन के दौरान इस मुद्दे पर चीनी प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ से कड़ा विरोध दर्ज कराया था। सम्मेलन के अवसर पर दोनों नेता वियतनाम में मिले थे और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर उनके बीच बैठक भी हुई थी। मनमोहन सिंह ने जियाबाओ से कहा कि कश्मीरियों को स्टैप्ल्ड वीजा देने का मसला भारत के लिए उतना ही संवेदनशील है, जितना चीन के लिए तिब्बत का मुद्दा। जियाबाओ के दौरे में इस मुद्दे के फिर प्रमुखता से उठने की संभावना है।

हाल ही में बीजिंग ने भारतीय अधिकारियों को भरोसा दिलाया था कि स्टैप्ल्ड वीजा के मसले को सुलझा लिया जाएगा। अधिकारियों के अनुसार, चीन ने यह भी कहा कि इस कारण दोनों देशों के रिश्तों पर आंच नहीं आएगी और द्विपक्षीय राजनयिक आदान-प्रदान भी प्रभावित नहीं होंगे। चीनी दूतावास द्वारा जम्मू-कश्मीर के निवासियों को फिर से स्टांप्ड वीजा जारी करने के कदम की भारत ने सराहना की है। अधिकारियों के अनुसार, यह द्विपक्षीय संबंधों के लिए शुभ संकेत है। माना जा रहा है कि जियाबाओ के दौरे के मद्देनजर भारत से दोस्ती को नए सिरे से परवान चढ़ाने के लिए चीन यह कदम उठा रहा है। वीजा विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों में खटास पैदा हो गई। रिश्तों में तनातनी और बढ़ गई, जब चीन ने सेना के उत्तरी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल बीएस जसवाल को इस आधार वीजा देने से मना कर दिया, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में सेना की कमान संभाल रहे हैं। बीजिंग की इस कार्रवाई पर कड़ा कदम उठाते हुए भारत ने चीन के साथ रक्षा मामलों में आदान-प्रदान स्थगित कर दिया। तब से दोनों देशों में गतिरोध कायम है। उम्मीद है कि जियाबाओ के दौरे में वीजा विवाद सुलझने के बाद दोनों देशों के बीच राजनयिक गतिरोध खत्म हो सकेगा।

(Courtesy :  www.jagran.com, 13 Dec. 2010)

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