Thursday, December 16, 2010

चीन ने दिखाई गर्मजोशी, नत्थी वीजा नीति बदली


नई दिल्ली [राजकिशोर]। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ के भारत की सरजमीं पर कदम रखने से पहले ही वहां से नई दिल्ली के साथ भरोसे का रिश्ता बनाने का संदेश भेजा गया। भारतीय बाजार में गहरे पैठने की कोशिश कर रहे चीन ने नत्थी वीजा मामले में नीति बदलने का संदेश भेजकर भारत के साथ संबंधों को विश्वास बहाली की दिशा में मोड़ने की कोशिश की है। करीब 400 उद्योगपतियों के साथ दिल्ली आए जियाबाओ ने यह भी साफ कर दिया कि उनकी प्राथमिकता दोनों देशों के बीच वाणिज्यिक रिश्तों को नए मुकाम पर पहुंचाने की है।
 
दिल्ली पहुंचते ही जियाबाओ ने कहा, 'मेरी यात्रा का मुख्य उद्देश्य दोस्ती को बढ़ाना, सहयोग के क्षेत्रों का विस्तार करना, पुरानी उपलब्धियों को आगे बढ़ाना और दोनों देशों के फायदे के लिए नए आयाम खोलना है।' अक्टूबर में हनोई में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ जियाबाओ की बैठक के दौरान भी व्यापारिक रिश्तों के साथ-साथ मुख्य तौर पर जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को चीन की तरफ से नत्थी वीजा दिए जाने पर भी चर्चा हुई थी।
चीन के प्रधानमंत्री की इस यात्रा में सबसे अहम मुद्दा व्यापार का है। यही कारण है कि वह अब तक का सबसे बड़ा उद्योगपतियों का प्रतिनिधिमंडल लेकर आए हैं। ऐसे में कोशिश है दोनों देशों के बीच सहज संबंधों की दिशा में एक दूसरे के प्रति भरोसा पैदा करने पर। इसी कड़ी में भारतीय खेमे की कोशिशों के बाद चीन ने जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को नत्थी वीजा मसले पर अपनी नीति बदलने का भरोसा दिया है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और चीन के प्रतिनिधियों के बीच परदे के पीछे हुई बातचीत के बाद यह सहमति बनी है। चूंकि, जियाबाओ को दिल्ली से सीधे इस्लामाबाद [पाकिस्तान] जाना है, लिहाजा अभी इसकी औपचारिक घोषणा नहीं होगी। फार्मूले के मुताबिक धीरे-धीरे जम्मू-कश्मीर के लोगों को नत्थी वीजा के बजाय मुहर के साथ वीजा देने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
 
बीजिंग से इस सकारात्मक संदेश के बाद जब दिल्ली के हवाईअड्डे पर जियाबाओ न सिर्फ बेहद खुशगवार मिजाज में उतरे, बल्कि स्वागत के लिए तैनात वाणिज्य राज्य मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ वह बेहद गर्मजोशी के साथ पेश आए। हवाई अड्डे से वह सीधे दोनों देशों के उद्योगपतियों की अहम बैठक में गए तो वहां भी जियाबाओ का रुख बेहद सकारात्मक था। रात को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने जियाबाओ की शान में व्यक्तिगत भोज भी दिया। बृहस्पतिवार को जियाबाओ का बेहद व्यस्त दिन होगा। सवेरे राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल से मुलाकात के बाद वह राजघाट जाएंगे। इसके बाद हैदराबाद हाउस में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तरीय कई चक्र बातचीत और संयुक्त बयान जारी होगा। इसके बाद वह भारत-चीन संबंधों वह रोशनी डालेंगे तो दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक बंध भी मजबूत करेंगे। उनकी मुलाकात संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से भी होगी।

(Courtesy : jagran.com, 16 Dec. 2010)
 

भारत-चीन में हो सकती है अहम रणनीतिक सहमति
नई दिल्ली। चीन प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने गुरुवार को कहा कि मेरी यात्रा के दौरान भारत और चीन के बीच महत्वपूर्ण रणनीतिक सहमति हो सकती है और मेरी यात्रा के महत्वपूर्ण परिणाम निकलेंगे। वेन ने कहा कि वह दोनों देशों के बीच सहयोग का विस्तार करने और मैत्री संबंधों में प्रगाढ़ता लाने के उद्देश्य से भारत आए हैं।

(Courtesy : jagran.com, 16 Dec. 2010)


भारतीय कंपनियों के लिए और खुलेगा चीन का बाजार
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। चीन के प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने अपने भारतीय दौरे की शुरुआत जबरदस्त कारोबारी गर्मजोशी के साथ की है। भारत में कदम रखने के कुछ ही घंटे बाद व्यापारिक रिश्ते को लेकर भारत सरकार व घरेलू उद्योगपतियों की हर आशंका का जबाव देने की उन्होंने कोशिश की। द्विपक्षीय व्यापार बढ़ने के साथ ही व्यापार संतुलन बढ़ने को लेकर भारत की चिंताओं का समाधान करते हुए जियाबाओ ने चीन की नई रणनीति का भी खुलासा किया।

जियाबाओ के सामने बुधवार को भारत व चीन की कंपनियों के बीच 16 अरब डॉलर के 47 समझौते हुए। जियाबाओ ने देश के तीन प्रमुख उद्योग चैंबर- फिक्की, सीआइआइ व एसोचैम के संयुक्त सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि चीन भारतीय फार्मा, कृषि व आइटी उत्पादों के लिए अपने बाजार और खोलेगा ताकि व्यापार घाटे को कम किया जा सके। उन्होंने संकेत दिए कि भारत व चीन के बीच द्विपक्षीय कारोबार के लक्ष्य फिर से निर्धारित किए जाएंगे। इस बारे में गुरुवार को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ आधिकारिक बातचीत के दौरान फैसला लिये जाने की संभावना है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय कारोबार इस वर्ष 60 अरब डॉलर से ज्यादा होने की उम्मीद है।
जियाबाओ ने कहा कि भारत व चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार पिछले एक दशक में 20 गुना बढ़ चुका है, लेकिन इसमें वृद्धि की अपार संभावनाएं हैं। दुनिया के कुल उत्पादन का दसवां हिस्सा भारत व चीन में बनता है, लेकिन ग्लोबल कारोबार में इनका संयुक्त योगदान सिर्फ 0.2 फीसदी है। बताते चलें कि भारत व चीन ने पहले वर्ष 2010 तक द्विपक्षीय कारोबार का लक्ष्य 10 अरब डॉलर रखा था। इसे बाद में बढ़ाकर 50 अरब डॉलर कर दिया गया था। यानी कारोबारी रिश्ते सरकारी उम्मीदों से भी ज्यादा गति से चल रहे हैं। चीन की कंपनियों को भी भारत के विशाल बाजार व तेजी से बढ़ रहे मध्यम वर्ग की दरकार है। यही वजह है कि जियाबाओ एक तरफ भारतीय कंपनियों के उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने को तैयार हैं, वहीं साथ ही वे द्विपक्षीय कारोबार की गति भी तेज करना चाहते हैं। इसका सीधा फायदा चीन की कंपनियों को मिलेगा।
 
जियाबाओ के मुताबिक भारत व चीन एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी नहीं हैं। दोनों देशों की कंपनियों में सहयोग की जरूरत है। उन्होंने भारत में निवेश बढ़ाने के लिए चीनी कंपनियों को पूरा प्रोत्साहन देने का भी वादा किया। साथ ही यह भी कहा कि चीन की सरकार भारतीय पर्यटन को अपने यहां बढ़ावा देने के लिए हरसंभव कदम उठाएगी। हालांकि उन्होंने चीन की कंपनियों की भारत में निवेश योजनाओं में आने वाली दिक्कतों का भी परोक्ष तौर पर जिक्र किया। चीन के प्रधानमंत्री ने विगत पांच वर्षो में भारत की प्रगति की दिल खोलकर तारीफ की और कहा कि इन पांच वर्षो में भारत ज्यादा खूबसूरत व व्यवस्थित हो गया है।

 (Courtesy : jagran.com, 16 Dec. 2010)

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