Saturday, December 4, 2010

केंद्र को शुरू करनी चाहिए कश्मीर मुद्दे पर बातचीत

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में तथ्यों की जांच-पड़ताल के लिए आए सांसदों और समाज के अग्रणी सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने शनिवार को केंद्र से अपील की कि वह कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए वार्ता शुरू करे और सय्यद अली शाह गिलानी जैसे अलगाववादी नेताओं को भी उसमें शामिल करे।

लोक जनशक्ति दल के प्रमुख राम विलास पासवान के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल ने गिलानी के साथ उनके घर पर लगभग एक घंटे तक बातचीत की। इस मुलाकात के बाद पासवान ने संवाददाताओं को बताया कि उनका प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम के नेतृत्व वाले सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की कश्मीर यात्रा के बाद स्थितियों की जानकारी लेने के लिए आया है। पासवान ने कहा कि हमें यह देख कर खुशी हुई कि सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे के बाद घाटी में स्थिति शांतिपूर्ण है। सरकार ने उस दौरे के बाद आठ सूत्री पैकेज की घोषणा की थी, लेकिन अब तक उन कदमों का जमीनी स्तर पर पालन कहीं नहीं दिख रहा। 

प्रतिनिधिमंडल की ओर से पासवान ने कहा कि सरकार को कश्मीर मुद्दे पर बातचीत शुरू करनी चाहिए और उसमें गिलानी जैसे नेताओं को भी शामिल करना चाहिए। लोजपा अध्यक्ष ने केंद्र की ओर से कश्मीर मुद्दे पर बातचीत के लिए नियुक्त किए गए तीनों वार्ताकारों के चयन पर असंतोष जताते हुए कहा कि उस समूह में कोई राजनीतिक प्रतिनिधि नहीं है और वे कश्मीरी नेतृत्व को भी सामने नहीं ला पाए हैं। पासवान ने कहा कि सरकार को लोक सुरक्षा अधिनियम [पीएसए] के तहत गिरफ्तार किए गए युवाओं की संख्या और आठ सूत्री पैकेज की घोषणा के बाद रिहा किए युवाओं की संख्या बतानी चाहिए। 

गिलानी ने कश्मीर मुद्दे पर बातचीत शुरू करने के पहले पांच बिंदु सुझाए थे, जिनमें से एक, कश्मीर को विवादित घोषित करना भी था, जिनके बारे में पासवान ने कहा कि सरकार के लिए इस विवादित भाग पर परेशानी हो सकती है, लेकिन बातचीत शुरू करने के लिए अन्य चार का पालन किया जा सकता है।
लोजपा नेता ने कहा कि वह गिलानी को 'लगातार' नजरबंदी में रखे जाने के मुद्दे को संसद में उठाएंगे। उन्होंने कहा कि अगर यह सच है कि गिलानी को लंबे समय से नजरबंदी में रखा गया है, तो हम इस मुद्दे को संसद में उठाएंगे। यह गलत है और अगर यह जरूरी भी है, तो सरकार को आधिकारिक तौर पर इसकी घोषणा करनी चाहिए। 

गिलानी ने कहा कि वह कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत के विरोधी नहीं हैं, लेकिन यह प्रक्रिया परिणामपरक और सार्थक होनी चाहिए। गिलानी ने कहा कि हम बातचीत के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन यह प्रक्रिया परिणामपरक और सार्थक होनी चाहिए। नहीं तो, पिछले 63 साल में बातचीत तो कई बार हुई है, लेकिन कश्मीर का मुद्दा अब भी नहीं सुलझा है। हुर्रियत नेता गिलानी ने बताया कि उन्होंने प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों से कहा है कि वे कश्मीर मुद्दे को संसद में उठाएं। शहर में सुबह एक बस में आगजनी की घटना के बारे में पूछे जाने पर गिलानी ने कहा कि हिंसा की कोई जगह नहीं है, मैं युवाओं से एक बार फिर अपील करता हूं कि वे नेतृत्व द्वारा दिए गए कार्यक्रम का पालन करें, जिसमें शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करना शामिल है। 

प्रतिनिधिमंडल को घाटी के अपने दौरे में हुर्रियत के उदारवादी नेता मीरवाइज उमर फारुख, मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती से भी मिलना है। तीन दिवसीय यात्रा पर कल यहां पहुंचे प्रतिनिधिमंडल ने तुफैल मट्टू के परिवार से भी मुलाकात की। मट्टू की मौत के बाद ही घाटी में अशांति का दौर शुरू हुआ था। प्रतिनिधिमंडल में सांसद डी राजा, एन नागेश्वर राव, दानिश अली के अलावा फिल्मकार महेश भट्ट और पत्रकार सीमा मुस्तफा भी शामिल हैं।

(Courtesy : www.jagran.com, 04/12/2010 )

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