जम्मू। रियासत सरकार ने २०१० में वादी में तीन महीने तक भड़की हिंसा में मारे गए १०२ लोगों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला लिया है। पर सरकार का यह फैसला श्री अमरनाथ संघर्ष समिति को अखर रहा है। संघर्ष समिति के सदस्यों के मुताबिक श्री अमरनाथ भूमि आंदोलन के दौरान मरने वाले १४ लोगों में से रियासत सरकार द्वारा सिर्फ दो लोगों को ही तीन लाख रुपये मुआवजा दिया है।
समिति के सदस्यों का कहना है कि सेना और सुरक्षा बलों पर पथराव करने वालों को सरकार पांच पांच लाख मुआवजा दे रही है जबकि अपने अधिकारों के लिए संघर्ष के दौरान जान गंवाने वाले जम्मू के लोगों को सरकार ने मुआवजा नहीं दिया है।
उनका यह भी कहना है कि सरकार पक्षपात को बढ़ावा दे रही है। समिति के चेयरमैन ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) सुचैत सिंह का कहना है कि पत्थरबाजों को उकसाया जा रहा है। पत्थरबाजी का इनाम देकर सरकार अगली गर्मियों में भी हिंसा को सुनिश्चित कर रही है। ज्ञात रहे कि सरकार ने हिंसा के दौरान मरने वालों के लिए ५.१० करोड़ मंजूर किया है। इससे प्रत्येक परिवार को पांच-पांच लाख बतौर मुआवजा दिया जाएगा।
सरकार के इस फैसले को लेकर समिति जल्द ही बैठक करने वाली है। बैठक में कैबिनेट के ताजा फैसले पर भी चर्चा की जाएगी जिसमें भूमि आंदोलन के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के शिकार परिवारों को भी मुआवजा दिया गया है। समिति के सदस्यों का कहना है कि भूमि आंदोलन के दौरान जम्मू खित्ते के १४ लोगों की जानें गई है। आंदोलन के दौरान भद्रवाह और जम्मू में मरने वाले दो लोगों के परिजनों को ही मुआवजा दिया गया है।
समिति के प्रवक्ता डा. नरेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार समिति को आंदोलन करने पर मजबूर कर रही है। सुरक्षा बलों पर पथराव करने वालों को पांच पांच लाख और राष्ट्रवादी लोगों को कोई मुआवजा नहीं दिया जा रहा है। स्टेट मोर्चा के विधायक अश्वनी शर्मा का कहना है कि मामले को हाउस में उठाया जाएगा।
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