57 फीसदी पाठकों ने कहा, बल में कटौती से बढ़ेंगे आतंकियों के हौंसले
जम्मू कश्मीर में लंबे समय से सेना के अधिकारों में कटौती, संख्या में कमी और कुछ क्षेत्रों से हटाए जाने की मांग की जा रही है। गृह सचिव जीके पिल्लई ने नई दिल्ली में कहा कि केंद्र कश्मीर से करीब 25 फीसदी सुरक्षा बलों को अगले 12 महीनों में हटाएगी। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने प्रस्ताव का स्वागत करते हुए कहा है कि धीरे-धीरे सेना और सुरक्षा बलों की संख्या कम कर, सभी शक्तियां स्थानीय पुलिस को सौंपी जानी चाहिए।
Dainikbhaskar.com ने अपने पोल में यही प्रश्न पूछा था और पोल में भाग लेने वाले सबसे ज्यादा 57 फीसदी पाठकों ने कहा कि यह फैसला गलत है और इससे आतंकवादियों के हौंसले और बढ़ेंगे।
ठंड के समय सीमा पर उंची-उंची पहाड़ियों पर बर्फ जम जाती है और सुरक्षा कवच कुछ कमजोर हो जाता है। इस समय पाकिस्तानी सेना अकारण फायरिंग करती है और इसी की आड़ में आतंकवादी भारत में प्रवेश कर जाते हैं। साफ है कि पाकिस्तान भारतीय सीमा में सुरक्षा कमजोर होने का ही इंतजार करता है और मौका मिलते ही आतंकवादियों को सीमापार भेज देता है। पोल में भाग लेने वाले करीब 22 फीसदी पाठकों ने कहा कि सेना या सुरक्षा बलों की संख्या में कटौती से पाकिस्तान का हस्तक्षेप बढ़ जाएगा।
कश्मीर में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है विवादास्पद आर्म्ड फोर्सेस स्पेशल पावर्स एक्ट में बदलाव किया जाएगा। लेकिन भारतीय सेना हमेशा इस एक्ट में बदलाव का हमेशा विरोध करती है। लेकिन भारतीय सेना इसका शुरू से ही विरोध करती आई है।
आर्मी चीफ जनरल वीके सिंह ने कश्मीर में सेना को हटाने या उनकी संख्या में कटौती करने का भी विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि वर्तमान में इसकी कोई आवश्यकता नहीं है। पोल में भाग लेने वाले करीब 10 फीसदी पाठक मानते हैं कि सुरक्षा बलों की संख्या में कटौती करने से हौंसला घटेगा।
पोल में भाग लेने वाले केवल 8 फीसदी पाठकों ने माना कश्मीर में लंबे समय से फोर्स में कटौती की मांग माने जाने से सकारात्मक माहौल बनेगा। 3 फीसदी पाठकों की राय है कि यथास्थिति बनी रहेगी और फोर्स कम करने का कोई असर नहीं पड़ेगा।
(Courtesy : www.bhaskar.com, 17 Jan. 2011)
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