नई दिल्ली. भारत सरकार रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर अपने दावे पर मुखर हो, वरना चीन 2020 तक इस क्षेत्र को अपनी सीमा में ले सकता है। देश में रक्षा क्षेत्र के थिंक टैंक माने जाने वाले इंस्टीट्यूट ऑफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ने अपनी रिपोर्ट में सरकार को चीन के इस इरादे से चेताया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में चीन की बढ़ती सक्रियता सीमा पर नए सामरिक आयाम दे सकती है। यह वास्तविकता भारत के दीर्घकालिक सुरक्षा हितों को नुकसान पहुंचा सकती है। इसलिए देश के नीति-निर्माताओं को पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर सक्रिय नीति अपनानी चाहिए।
रिपोर्ट में चिंता जताई गई है कि पाकिस्तान को चीन से जोड़ने वाले काराकोरम हाईवे के जरिए चीन पाकिस्तान को गुप्त रूप से परमाणु सामग्री पहुंचा सकता है। इसके न केवल भारत बल्कि इस क्षेत्र के लिए कई सामरिक निहितार्थ हैं, जिसे रेखांकित किए जाने की जरूरत है।
रिपोर्ट में पाकिस्तान कश्मीर में चीन की गतिविधियों पर कहा गया है कि चीनी कंपनियां अनेक हाइडल प्रोजेक्ट जैसे नीलम-झेलम, गोमलजाम, मंगला बांध आदि पर काम कर रही हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान ने चीन के साथ अनेक ऐसे करार किए हैं जिसमें पारदर्शिता नहीं अपनाई।
इसलिए चीन के पीओके में सक्रियता के बारे में पूरी तरह कह पाना मुश्किल है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र के लोग भी यह आशंका व्यक्त कर रहे हैं कि जिस तरह से चीन इस क्षेत्र में अपने प्रभाव जमा रहा है, वह 2020 तक गिल गित-बाल्तिस्तान को कब्जे में ले लेगा। रिपोर्ट में न्यूयार्क टाइम्स में छपे उस लेख का भी हवाला है जिसमें कहा गया है कि 7 से 11 हजार चीनी सैनिक इस क्षेत्र में हैं।
रिपोर्ट में सरकार को सुझाव दिया है कि वह अतंरराष्ट्रीय मंचों पर अपने दावे के साथ-साथ इस क्षेत्र के खराब हालात और शासन को प्रभावी ढंग से उठाए। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में पाकिस्तान के खिलाफ लोगों की नाराजगी बढ़ती जा रही है।
(Courtesy : www.bhaskar.com)
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