जम्मू (21 May 2011)। विस्थापित कश्मीरी पंडित समुदाय का अस्तित्व कायम रखने के लिए पंडितों को अल्पसंख्यक दर्जा दिया जाना आवश्यक है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह पंडितों को अल्पसंख्यक दर्जा देने के लिए उपायों की तलाश करे। यह बात राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने जम्मू कश्मीर सरकार को लिखे पत्र में कही है।
आयोग के चेयरमैन वजाहत हबीबुल्लाह ने राज्य सरकार को पंडित समुदाय को अल्पसंख्यक दर्जा देने की सिफारिश हाल ही में कश्मीरी पंडित दलों के साथ बैठक करने के बाद की है। पंडित संगठनों के कई नेताओं ने ऑल इंडिया कश्मीरी समाज के बैनर तले इसी महीने वजाहत हबीबुल्लाह से बैठक कर उन्हें विस्थापित कश्मीरी पंडितों की पीड़ा को बताया था। राज्य के दौरे पर आए समाज के प्रधान मोती कौल ने कहा है कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने राज्य सरकार को अपनी सिफारिश देकर पंडितों के वर्षों के अपने दावे पर मुहर लगा दी है।
उन्होंने कहा कि आल इंडिया कश्मीरी समाज पिछले कई वर्षो से पंडितों को अल्पसंख्यक दर्जा दिलवाने के लिए प्रयास कर रहा है। इस सिलसिले में उन्होंने वर्ष 1999 से विभिन्न हस्तियों से मिल कर उनके नोटिस में पंडितों को अल्पसंख्यक दर्जा दिए जाने की मांग लाई है, ताकि अपने अस्तित्व को बचाने की लड़ाई को जीता सके। कौल ने कहा कि कश्मीरी पंडितों को अल्पसंख्यक समुदाय का दर्जा देने की मांग उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के समक्ष कोई पहली बार नहीं उठाई है। इससे पहले भी वर्ष 1999 में उठा चुके हैं, उस समय आयोग प्रमुख प्रो.ताहिर महमूद ने भी राज्य सरकार को पंडितों को अल्पसंख्यक दर्जा देने की सिफारिश की थी।
(Courtesy : www.jagran.com)
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