नई दिल्ली (27.02.2011)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहनराव मधुकर भागवत ने कहा कि घाटी में ससम्मान वापसी विस्थापित कश्मीरी पंडितों का अधिकार है। उन्होंने उनके विस्थापन के पीछे राजनीति को जिम्मेदार ठहराया और दावा किया कि हिंदू सम्मानित और सुरक्षित होकर अपने घर वापस लौटेंगे।
डॉ. भागवत रविवार को जम्मू-कश्मीर विचार मंच के तत्वावधान में दिल्ली के फिक्की ऑडिटोरियम में आयोजित सामूहिक शिवरात्रि (हेरथ) महोत्सव – 2011 को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उपस्थित कश्मीरी परिवारों और अन्य गण्यमान्य लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा- “सीधी सी बात है कि कश्मीर में रहने वाले लोग कश्मीर में ही रहेंगे। इसे लेकर बेकार में भारी बवाल हो रहा है और उल्टी नीति चल रही है क्योंकि इसके पीछे राजनीति आ गई है।”
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि स्वतंत्र भारत में कश्मीर से चार लाख हिंदू विस्थापित हो गए। अपने घर सम्मान के साथ वापस जाना उनका अधिकार है। उन्होंने कहा कि आजाद भारत में इस तरह की अराजकता हो रही है और कानून की बात आती है तो कहा जाता है वहां अनुच्छेद 370 है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसी बात है तो अनुच्छेद 370 को हटाया क्यों नहीं जाता। उस स्थिति को बदलना चाहिए जो स्वतंत्र भारत में नागरिकों को सम्मान और सुरक्षा के साथ नहीं रहने देती।
डॉ. भागवत ने कश्मीरी पंडितों से आह्वान किया कि वे अपनी आने वाली पीढि़यों में भी देश के प्रति अगाध निष्ठा के भाव को बनाए रखें और अपने अधिकारों की लड़ाई जारी रखें। उन्होंने कहा कि जिसका धर्म नहीं है वह सदैव अपने पेट की तरफ ही देखता है। केवल स्वहित के कारण उसका स्वभाव कट्टर हो जाता है। इन कट्टरपंथियों के कारण ही लोगों को विस्थापन का दंश झेलना पड़ता है। सारे देश को इस स्थिति को समझना होगा।
उन्होंने कहा- “शिवरात्रि के अवसर पर शिव का विचार करना है। उनके जैसा बनने का संकल्प करना है। क्योंकि शिव सम्पूर्ण दुनिया को आत्मभान देते हैं। भगवान राम और कृष्ण भी शिव की ही पूजा करते थे। इसलिए हमें भी शिव से प्ररणा लेनी चाहिए।” उन्होंने बताया कि जनजागरण के निमित्त संघ के स्वयंसेवक जिन तीन बिंदुओं को लेकर घर-घर सम्पर्क कर रहे हैं उसमें कश्मीर का विषय भी शामिल है।
कार्यक्रम को भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष स्मृति ईरानी ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर की मूल समस्या वहां की बेरोजगारी व गरीबी है। यह कार्यक्रम सभ्यता व संस्कार का महोत्सव है। उन्होंने विस्थापित कश्मीरी पंडितों की ओर संकेत करते हुए कहा कि आप लोगों ने भगवान शंकर की तरह कंठ में विष धारण किया है। मर्यादापुरुषोत्तम राम तो केवल 14 वर्ष ही वनवास में रहे लेकिन आप लोगों को वनवास हुए 22 वर्ष हो गए। उन्होंने कहा कि आप लोगों का संघर्ष ही देश का राजनीतिक दृष्टिकोण बदलेगा और हम अपनी बात मनवाकर रहेंगे।
कार्यक्रम को सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता व जम्मू-कश्मीर विचार मंच के संयोजक श्री टी.एन. राजदान ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार व लेखक अजय भारती ने किया। इससे पहले डॉ. भागवत और श्रीमति ईरानी को परंपरागत कश्मीरी वेशभूषा पहनाकर उनका सम्मान किया गया।
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