श्रीनगर। आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने अब कश्मीर में जिहाद को गति देने के उद्देश्य से सूचना प्रौद्योगिकी के प्रयोग के लिए सीमा पार 15 दिवसीय विशेष कैप्सूल कोर्स भी शुरू कर दिया है। इसमें कश्मीरी युवकों को शामिल किया जा रहा है। एक स्थानीय आतंकी यह प्रशिक्षण लेकर लौट भी आया है, जबकि एक अभी तक गुलाम कश्मीर में ही है। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं पाया है कि कितनी संख्या में युवक सीमा पार प्रशिक्षण लेने गए हुए हैं। यह कोर्स न सिर्फ गुलाम कश्मीर और पाकिस्तान के विभिन्न इलाकों में जारी आतंकी कैंपों में बैठे दहशतगर्दो को करवाया जा रहा है, बल्कि कश्मीर में बीते दिनों भर्ती किए गए शिक्षित युवकों को भी वहां बुलाकर दिया जा रहा है। ऐसे युवकों को इस प्रशिक्षण के लिए एलओसी पार करने के लिए नहीं, बल्कि पासपोर्ट के आधार पर पाकिस्तान बुलाया जाता है ताकि वापसी पर सुरक्षा एजेंसियों को इनकी गतिविधियों पर संदेह न हो। इस नई साजिश का खुलासा तीन दिन पहले बांडीपोरा जिले के हाजन इलाके में पकडे़ गए लश्कर के एक तीन सदस्यीय मॉड्यूल की गिरफ्तारी से हुआ है। इसमें एक पूर्व आतंकी शामिल है, जबकि दो अन्य नए लड़के हैं। इनकी पहचान गुलाम मुहम्मद भट्ट, जहूर अहमद डार और निसार अहमद गनई के रूप में हुई है। एसपी बांडीपोरा बशीर अहमद खान ने बताया कि जहूर अहमद मई 2011 में एक फर्जी नाम पर पासपोर्ट बनवाकर पाकिस्तान गया था। उसे इलाके में सक्रिय एक लश्कर कमांडर ने ही भेजा था। उसने पाकिस्तान में जाकर लश्कर के एक कैंप में कंप्यूटर और साइबर दुनिया से संबंधित विभिन्न उपकरणों व तकनीकों का प्रशिक्षण लिया। इसके बाद वह वापस लौट आया। वापस आने पर उसने एक पूर्व सरेंडर आतंकी गुलाम मुहम्मद भट्ट से संपर्क किया और उसके बाद वह स्थानीय युवकों की भर्ती में जुट गया। वह नए लड़कों को पाकिस्तान जाकर कंप्यूटर और सूचना प्रौद्योगिकी के जेहाद में इस्तेमाल की ट्रेनिंग लेने जाने के लिए प्रेरित करने लगा। इन लोगों ने निसार अहमद डार नामक एक युवक को विशेष तौर पर कश्मीर में सक्रिय आतंकियों के लिए पैसा लेने और कंप्यूटर की ट्रेनिंग के लिए ही भेजा हुआ है। वह अभी भी गुलाम कश्मीर में ही है। एसपी ने इन लोगों द्वारा भर्ती किए गए और पार भेजे गए युवकों की सही संख्या नहीं बताई है, लेकिन दावा किया है कि जांच जारी है और कुछ महत्वपूर्ण सुराग मिले हैं। उन्होंने बताया कि इन तीनों के पास से मैट्रिक्स शीट, कंप्यूटर, कोडवर्ड डायरी और कुछ अन्य दस्तावेज भी मिले हैं। जहूर अहमद का फर्जी पते पर पासपोर्ट बनाए जाने के मामले की जांच भी की जा रही है।
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