वाशिंगटन। अमेरिका में बसे कश्मीरी अलगाववादी नेता गुलाम नबी फई ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने का जुर्म कबूल लिया है। वाशिंगटन स्थित कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (केएसी) के प्रमुख फई का कबूलनामा आइएसआइ के लिए करारा झटका है। 62 वर्षीय फई ने बुधवार को अदालत में माना कि उसने अवैध रूप से अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग कर कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित करने की कोशिश की। इसके लिए उसे आइएसआइ ने बड़ी रकम दी थी। फई को 9 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। वर्जीनिया की इस्टर्न डिस्टि्रक कोर्ट के समक्ष फई ने कुबूल किया कि वह आइएसआइ अधिकारियों के सीधे संपर्क में था। फई ने अभियोजकों के इस आरोप से सहमति जताई कि 1990 से 2011 के बीच आइएसआइ से उसे 35 लाख डॉलर (करीब 18 करोड़ रुपये) मिले। फई ने माना कि कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग के लिए आइएसआइ से उसे बाकायदा यह निर्देश मिलते थे कि उसे क्या बोलना है और क्या लिखना है। अमेरिकी अटॉर्नी मैकब्राइड ने कहा, फई ने पिछले 20 साल में गुपचुप तरीके से पाक खुफिया एजेंसी से लाखों डॉलर लिए और इस बारे में अमेरिकी सरकार से झूठ बोलता रहा। आइएसआइ के भाड़े के सदस्य के रूप में वह अपने पाकिस्तानी आकाओं के निर्देश पर अमेरिकी सांसदों से मिला, हाई-प्रोफाइल सेमीनार आयोजित किए और वाशिंगटन में नीति निर्धारकों के बीच कश्मीर मुद्दे को हवा दी।
Thursday, December 8, 2011
फई ने कबूला जासूसी का जुर्म
वाशिंगटन। अमेरिका में बसे कश्मीरी अलगाववादी नेता गुलाम नबी फई ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ के लिए जासूसी करने का जुर्म कबूल लिया है। वाशिंगटन स्थित कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (केएसी) के प्रमुख फई का कबूलनामा आइएसआइ के लिए करारा झटका है। 62 वर्षीय फई ने बुधवार को अदालत में माना कि उसने अवैध रूप से अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग कर कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित करने की कोशिश की। इसके लिए उसे आइएसआइ ने बड़ी रकम दी थी। फई को 9 मार्च को सजा सुनाई जाएगी। वर्जीनिया की इस्टर्न डिस्टि्रक कोर्ट के समक्ष फई ने कुबूल किया कि वह आइएसआइ अधिकारियों के सीधे संपर्क में था। फई ने अभियोजकों के इस आरोप से सहमति जताई कि 1990 से 2011 के बीच आइएसआइ से उसे 35 लाख डॉलर (करीब 18 करोड़ रुपये) मिले। फई ने माना कि कश्मीर मुद्दे पर अमेरिकी सांसदों के बीच लॉबिंग के लिए आइएसआइ से उसे बाकायदा यह निर्देश मिलते थे कि उसे क्या बोलना है और क्या लिखना है। अमेरिकी अटॉर्नी मैकब्राइड ने कहा, फई ने पिछले 20 साल में गुपचुप तरीके से पाक खुफिया एजेंसी से लाखों डॉलर लिए और इस बारे में अमेरिकी सरकार से झूठ बोलता रहा। आइएसआइ के भाड़े के सदस्य के रूप में वह अपने पाकिस्तानी आकाओं के निर्देश पर अमेरिकी सांसदों से मिला, हाई-प्रोफाइल सेमीनार आयोजित किए और वाशिंगटन में नीति निर्धारकों के बीच कश्मीर मुद्दे को हवा दी।
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