जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने यह बात स्वीकार की है कि विस्थापित पंडितों की घाटी वापसी के लिए उनमें आर्थिक सुरक्षा की भावना उत्पन्न करना जरूरी है और सरकार ने इस दिशा में कई कदम भी उठाए हैं। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत राज्य सेवा भर्ती बोर्ड द्वारा विभिन्न सरकारी नौकरियों के लिए चयनित विस्थापित पंडित युवाओं को नियुक्ति पत्र बांटते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि विस्थापितों को उनके घरों में भेजने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री पैकेज के तहत ही पंडितों की वापसी को सुनिश्चित बनाया जा रहा है ताकि वह वहां पर शांतिपूर्वक वातावरण में रह सकें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो चरणों में करीब छह हजार विस्थापित युवाओं को सरकारी नौकरियां दी जा रही हैं। पहले चरण में राज्य सेवा भर्ती बोर्ड ने 1700 युवाओं का चयन किया है जबकि 1300 अन्य का भी चयन किया जा रहा है। यह चयनित उम्मीदवार घाटी में ही विभिन्न विभागों में काम करेंगे और जम्मू में रहने वालों की घाटी वापसी के लिए भी काम करेंगे। घाटी में खूनखराबे के दौर को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंडितों में असुरक्षा की भावना के चलते ही उन्हें वहां से पलायन करना पड़ा था। उन्होंने कहा कि पंडितों ने दो दशकों में काफी कुछ भुगता है। नई पीढ़ी को तो कश्मीर के धर्मनिरपेक्ष संस्कृति के उस दौर को भी नहीं जानती है। उन्होंने कहा कि अब पंडितों की वापसी के लिए जमीनी स्तर पर काम करने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि अभी तक पंडितों की वापसी के लिए केवल खोखले नारे ही लगे हैं और विस्थापित युवाओं को रोजगार देकर सरकार ने उन्हें आर्थिक सुरक्षा दी है। कश्मीर में नौकरियां देकर उनकी वापसी की तरफ एक कदम बढ़ाया है। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पंडितों के लिए कई जगह आवास बनाए गए हैं जबकि कई प्रोजेक्ट अभी पाइप लाइन में हैं। नगरोटा के पास जगती में बन रहे चार हजार क्वार्टरों का निर्माण भी अगले वर्ष के जनवरी में संपन्न हो रहा है। उनका प्रयास रहेगा कि प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह या फिर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी इनका उद्घाटन करेंगे।
(Courtesy : www.jagran.com/ 06/12/2010)
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