उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार, केंद्र और संसद की जिम्मेदारी है। सुरक्षाबलों को इनकी गरिमा को ध्यान में रखते हुए अपनी हदों में रहकर ही बयान जारी करना चाहिए। गौरतलब है कि 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल कश्मीर में हालात का जायजा लेने और विभिन्न गुटों से बातचीत के लिए शुक्रवार को श्रीनगर पहुंचा था। इसमें जद सेक्युलर के दानिश अली, जदयू के महेश्वर हजारी, भाकपा के डी राजा, माकपा के गोपाल चौधरी, रालद के शाहिद सिद्दिकी, लोजपा के शोएब इकबाल, तेदेपा के नामो नामेश्वर राय, फिल्म निदेशक महेश भट्ट, पत्रकार सीमा मुस्तफा और शिक्षाविद् कमल चिनाय शामिल हैं। रविवार को नई दिल्ली रवाना होने से पूर्व पत्रकार वार्ता में भाकपा के डी राजा ने कहा कि सेना को नीतिगत मामलों पर कोई बयानबाजी नहीं करनी चाहिए। यह काम सरकार और संसद पर छोड़ देना चाहिए।
पासवान ने कहा कि अगर सुरक्षाबलों को किसी मुद्दे पर एतराज है तो वह सरकार को अवगत कराएं, जो नीतियां बनाती है। पिछले कुछ वर्षो में सेना की न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में बल्कि देश के अन्य भागों में भी नीतिगत मामलों पर बयानबाजी बढ़ी है, जो अनुचित है। कश्मीर में अमन बहाली के लिए सभी पक्षों से बातचीत पर जोर देते हुए भाकपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार को सभी अलगाववादी संगठनों और पाकिस्तान के साथ समग्र वार्ता प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। इसके साथ ही राज्य के तीनों संभागों जम्मू, लद्दाख व कश्मीर के राजनैतिक, सामाजिक व आर्थिक हितों का ध्यान रखना चाहिए। हमने यहां लोगों में असुरक्षा और सरकार के प्रति अविश्वास महसूस किया है। अफास्पा व पीएसए जैसे कानूनों को समाप्त किया जा सकता है।
(Courtesy : www.jagran.com/ 06/12/2010)
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