नई दिल्ली। देश के सबसे जटिल मुद्दे कश्मीर में शांति बहाली का रास्ता खोजने निकले केंद्रीय वार्ताकार आपस में ही उलझ गए हैं। वार्ताकारों द्वारा एक दूसरे पर तलवार भांजने से केंद्र सरकार पसोपेश में पड़ गई है। कश्मीर पर अलगाववादियों के सेमिनारों में सहयोगी वार्ताकारों के शामिल होने को लेकर एमएम अंसारी की टिप्पणियों से नाराज राधा कुमार ने गृह मंत्रालय का दरवाजा खटखटा दिया। यही नहीं उन्होंने दो टूक यहां तक कह दिया कि वह अंसारी के साथ आगे काम करने को तैयार नहीं हैं। हालांकि गृह मंत्रालय की मान-मनौव्वल के बाद राधा कुमार ने शिकायत वापस ले ली।
गौरतलब है कि केंद्र ने कश्मीर मुद्दे पर तीन वार्ताकारों दिलीप पडगांवकर, राधाकुमार और एमएम अंसारी की नियुक्ति की थी। अंसारी ने इस मामले में तीसरे वार्ताकार पडगांवकर पर भी निशाना साधा था। ताजा मामले में अंसारी ने राधा कुमार के ब्रसेल्स दौरे पर अंगुली उठाई थी। यहां कश्मीर मसले पर एक सेमिनार आयोजित की गई थी, जिसके आयोजकों को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ से धन हासिल होने का खुलासा हुआ है, लेकिन राधा कुमार का कहना है कि उन्होंने विदेश मंत्रालय से इजाजत लेकर ही यह दौरा किया था। माना जाता है कि राधा कुमार ने गृह मंत्रालय को शिकायत में कहा है कि वार्ताकार दल के एक सदस्य उनको बदनाम करने का अभियान चला रहे हैं।
हालांकि बाद में मंत्रालय ने उन्हें समझा-बुझा कर इस्तीफे जैसा कदम उठाने से रोक लिया। साथ ही मंत्रालय ने इस विवाद पर मंगलवार को बयान जारी कर कहा, वार्ताकारों के दल ने जम्मू-कश्मीर का अपना दौरा पूरा कर लिया है और अब अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे रहा है। राधा कुमार ने वार्ताकार की जिम्मेदारी से इस्तीफा नहीं दिया है। तीन सदस्यीय वार्ताकार दल में कुछ दिनों पहले भी विवाद हुआ था। तब अंसारी ने वार्ताकार दल के मुखिया दिलीप पडगांवकर के ऐसे ही एक दौरे पर सवाल उठाए थे। पडगांवकर ने अमेरिका में गुलाम नबी फई की ओर से आयोजित एक सेमिनार में भाग लिया था। फई को हाल ही में आइएसआइ का एजेंट होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
(Courtesy : Dainik Jagran/ 10 Aug. 2011)
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