जम्मू। राष्ट्रीय औसत के मुकाबले जम्मू-कश्मीर राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या काफी कम है। हालांकि, कुपोषित बच्चों को लेकर सरकार द्वारा राज्य स्तर पर कोई सर्वे तो नहीं कराया गया है, लेकिन समाज कल्याण विभाग के एक सर्वे में जम्मू संभाग में न के बराबर बच्चे कुपोषण से पीडि़त मिले हैं। गौरतलब है कि देश में इस समय 28 प्रतिशत लोग जरूरत से कम और चार प्रतिशत जरूरत से अधिक आहार लेते हैं। वर्ष 1978 में केंद्र सरकार ने एक सर्वे करवाया था, जिसके अनुसार राज्य में तीस प्रतिशत बच्चे कुपोषित थे। बीते 33 वर्ष के दौरान राज्य व केंद्र सरकार की ओर से कई अभियान चलाए गए, ताकि बच्चों में बढ़ रहे कुपोषण के मामलों के प्रति लोगों को जागरूक किया जाए। समाज कल्याण विभाग ने आंगनबाड़ी वर्कर्स के माध्यम से सर्वे करवाया है, जिसमें मात्र चालीस बच्चे ही जम्मू संभाग में कुपोषण से पीडि़त मिले। विभाग के डायरेक्टर महमूद राना का कहना है कि जम्मू संभाग में बहुत कम बच्चे कुपोषण के शिकार हैं। वहीं, महिला एवं बाल विकास विभाग भी समय-समय पर कुपोषण के बारे में सर्वे करवाती है। इनमें पुंछ और उधमपुर जिले में ऐसे बच्चे जरूर मिले, जिनके पास खाने को कुछ नहीं था। महिला एवं बाल विकास के अधिकारियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय स्तर के मुकाबले कुपोषण से पीडि़त बच्चों की संख्या बहुत कम है। उनका कहना है कि जागरूकता के अभाव में अभी भी करोड़ों लोग पौष्टिक आहार नहीं ले पाते हैं। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को भी इसकी जानकारी नहीं है कि राज्य में कुपोषण से पीडि़त कितने बच्चे हैं। परिवार कल्याण विभाग के डायरेक्टर डॉ. राकेश खजूरिया का कहना है कि केंद्र का महिला एवं बाल विकास विभाग यह काम करता है। वहीं, बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में बच्चों की हालत देश के अधिकतर राज्यों से बेहतर है।
(दैनिक जागरण, 05 सितम्बर 2011)
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