गुरुवार, 29 सितंबर, 2011
संसद पर हमले के मामले में दोषी ठहराए गए अफ़ज़ल गुरु की फाँसी की सज़ा माफ़ करने से जुड़े प्रस्ताव को लेकर जम्मू-कश्मीर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन हुए हैं.
निर्दलीय विधायक इंजीनियर राशीद और उनके समर्थकों ने सदन के बाहर प्रदर्शन किया जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया. बाद में उन्हें छोड़ दिया गया था.ये लोग विधानसभा में अफ़ज़ल गुरु की सज़ा माफ़ी के प्रस्ताव पर चर्चा न होने से नाराज़ थे.
बुधवार से ही अफ़ज़ल गुरु के मुद्दे को लेकर हंगामा हो रहा है. उनकी मौत की सज़ा माफ़ करने संबंधी प्रस्ताव पर बुधवार को विधानसभा में चर्चा होनी थी.
लेकिन कांग्रेस और भाजपा सदस्यों के बीच कहासुनी के कारण सदन की कार्यवाही नहीं हो सकी. इंजीनियर रशीद ने कुछ दिन पहले विधानसभा में ये प्रस्ताव रखा था कि अफ़ज़ल गुरु को मानवीय आधार पर माफ़ किया जाना चाहिए.
इंजीनियर रशीद का आरोप है कि सब पार्टियों ने मिलकर जानबूझकर ऐसा किया ताकि प्रस्ताव पर चर्चा न हो सके. अब इस प्रस्ताव पर अगले सत्र में ही चर्चा हो सकेगी. मुख्य विपक्षी पार्टी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने प्रस्ताव का समर्थन किया है.
वर्ष 2004 में सुप्रीम कोर्ट ने अफ़ज़ल गुरु को संसद पर हमले के आरोप में मौत की सज़ा सुनाई थी. 20 अक्तूबर 2006 को उन्हें सज़ा दी जानी थी. लेकिन उनकी पत्नी ने माफ़ी की अपील की थी जिसके बाद सज़ा टाल दी गई थी ताकि तत्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम अपील पर निर्णय ले सकें.
इसके बाद नवंबर 2006 में अफ़ज़ल गुरू ने ख़ुद राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम से क्षमादान की अपील की थी. ये याचिका गृह मंत्रालय को बढ़ा दी गई. 2011 में पाँच साल बाद गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को अनुशंसा दी कि अफ़ज़ल गुरु की अपील ठुकरा दी जाए.
(Courtesy : www.bbc.co.uk/hindi)
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