जम्मू। कश्मीरी पंडितों की वापसी को लेकर केंद्र सरकार को तुरंत पनुन कश्मीर के साथ वादी में होमलैंड के मुद्दे पर बातचीत करना चाहिए। शनिवार को जिस एपेक्स कमेटी के सदस्यों के साथ राज्य सरकार पंडितों में विश्वास बहाली के उपायों पर विचार करने वाली है, उनकी पंडित समुदाय में न तो कोई पैठ है और न ही कोई विश्वसनीयता। जम्मू में संवाददाता सम्मेलन में पनुन कश्मीर के कन्वीनर डॉ. अग्निशेखर ने एपेक्स कमेटी की संदेहास्पद संरचना पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह एपेक्स कमेटी की शनिवार को जम्मू में होने वाली बैठक का इसलिए विरोध करते हैं, क्योंकि इनमें से कुछ ऐसे भी सदस्य हैं जिनकी समुदाय में मान्यता ही नहीं है।
डॉ. अग्निशेखर ने कहा कि कश्मीरी पंडित अगर सरकार के विश्वास बहाली उपायों के चलते कश्मीर वापस जाते हैं तो उनके सामने मात्र तीन विकल्प हैं। पंडितों को या तो आजादी के हक में नारे लगाने पड़ेंगे या फिर पाकिस्तान के पक्ष में आवाज उठानी पड़ेगी या फिर उन लोगों का समर्थन करना पड़ेगा जो कश्मीर में भारतीय संविधान को कमजोर करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से कश्मीरी पंडित किसी भी बात का समर्थन नहीं कर सकते, क्योंकि वह राष्ट्रवादी होने की ही सजा पिछले इक्कीस वर्षो से भुगत रहे हैं। उन्होंने कहा कि पंडितों को वादी में यूनियन टेरेटरी दर्जे के साथ होमलैंड का विकल्प ही वापस कर सकता है।
(दैनिक जागरण, 05 सितम्बर 2011)
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