जम्मू। राज्य सरकार पर जम्मू से भेदभाव का आरोप लगाते हुए जम्मू-कश्मीर
डेमोक्रेटिक फ्रंट (जेकेडीएफ) के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने सोमवार
सुबह सचिवालय घेराव का प्रयास किया। लेकिन सुरक्षाबलों ने बल प्रयोग से
उनके मंसूबे को विफल कर दिया। कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए पुलिस ने जमकर
लाठियां भांजी। इसमें फ्रंट के प्रधान समेत आठ लोगों को चोटें आईं। घायलों
को जीएमसी अस्पताल में दाखिल करवाया गया। इस दौरान शहर में करीब एक घंटे
तक ट्रैफिक व्यवस्था ठप रही। सुबह से ही पार्टी
कार्यकर्ता इंद्र चौक पर एकत्रित होने लगे थे। करीब 11 बजे
सैकड़ों कार्यकर्ता इंदिरा चौक से सचिवालय घेराव के लिए निकले। कार्यकर्ता
हाथ में पार्टी का झंडा और बैनर लिए हुए थे। बैनर पर उन्होंने जम्मू
संभाग से भेदभाव को लेकर स्लोगन लिखे थे।
प्रदर्शनकारियों ने सचिवालय के
आसपास लगी धारा 144 को
तोड़ने का प्रयास
किया। पुलिस ने उन्हें आगे बढ़ने से रोका। दोनों
पक्ष में काफी धक्का-मुक्की हुई। इसके बाद भी जब वे नियंत्रण
में नहीं आए तो पुलिस ने बल प्रयोग शुरू कर दिया। लाठीचार्ज में घायल
हुए कार्यकर्ताओं की पहचान विनोद खन्ना, फौजा सिंह, विक्रम
शर्मा, अंकुश
शर्मा, अनिल
बलगोत्रा तथा मुनीष खजूरिया के रूप में हुई। इससे
पहले कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फ्रंट के चेयरमैन अनिल गुप्ता ने
कहा कि पिछली सरकारों की तरह नेकां-कांग्रेस गठबंधन सरकार ने भी जम्मू से
हर क्षेत्र में भेदभाव किया है। विकास कार्य केवल कश्मीर में ही करवाए जा
रहे हैं। कश्मीर केंद्रित सरकार ने हदबंदी को वर्ष 2026 तक नामुमकिन बना दिया
है। जनसंख्या और क्षेत्रफल के हिसाब से जम्मू का हिस्सा कश्मीर की अपेक्षा
अधिक है। इसलिए सरकार ने हदबंदी पर रोक लगा दी है। राज्य सरकार की नौकरियों
पर कश्मीर संभाग का वर्चस्व है। एसपीओ तथा वीडीसी के सदस्यों को समय
पर वेतन नहीं दिया जाता। जम्मू संभाग से बिजली और पानी के किराये वसूले जाते
हैं। जबकि कश्मीर में यह सब मुफ्त है। राज्य कैबिनेट में मौजूद जम्मू के
मंत्री भी कुछ नहीं बोलते। बाद में अनिल गुप्ता ने लाठीचार्ज की निंदा की
और कहा कि सरकार उनकी आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है। (3/4/2012)
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