नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर में लागू सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (एएफएसपीए) को हटाने के संबंध में कोई आखिरी निर्णय नहीं किया है। गृह राज्यमंत्री जितेन्द्र सिंह ने आज राज्यसभा को बताया कि एएफएसपीए सतत सीमा पार से जारी आतंकवाद को रोकने के लिए लागू किया गया था। उन्होंने बताया कि जम्मू एवं कश्मीर से सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम को हटाने के लिए फिलहाल कोई निर्णय नहीं किया गया है।
सिंह ने प्रकाश जावडेकर, तरूण विजय, वैष्णव परीदा और डी. राजा के प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि सुरक्षा व्यवस्था को प्रभावित करने वाले मामलों के संबंध में बुनियादी स्तर पर स्थिति का मूल्यांकन करने तथा केन्द्र सरकार संबंधित राज्य सरकारों और सुरक्षा बलों के बीच व्यापक विचार विमर्श करने के बाद ही निर्णय किया जाता है।
गृह राज्यमंत्री मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने मणिपुर से एएफएसपीए को हटाये जाने के बारे में एमपी अच्युतन और आरसी सिंह की ओर से पूछे गये एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि यह मुद्दा सरकार के विचाराधीन रहा है। न्यायमूर्ति जीवन रेड्डी समिति तथा प्रशासनिक सुधार आयोग ने भी इस विषय पर कुछ सिफारिशें की हैं। अब एआरसी की सिफारिश पर मंत्रीसमूह (जीओएम) को आखिरी निर्णय लेना है।
गौरतलब है कि मणिपुर के इम्फाल पश्चिमी जिले के मालोम गांव में दो नवम्बर 2000 को असम राइफल्स की ओर से गोलीबारी करने पर दस व्यक्तियों की मौत हुई थी। इस घटना के बाद से मणिपुर की आयरम शर्मिला चानू मणिपुर से सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून को वापस लेने की मांग करते हुए 5 नवम्बर 2000 से आमरण भूख हड़ताल पर हैं। उनके आंदोलन को स्थानीय, राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय प्रचार और समर्थन प्राप्त हुआ है। वह मार्च 2007 से इम्फाल के जेएन अस्पताल के सुरक्षा वार्ड में न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें नलिका के माध्यम से भोजन दिया जा रहा है।
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