जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य से सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) हटाने के लिए अंतिम बंदूक के शांत होने का इंतजार नहीं किया जा सकता। कश्मीर के श्रीनगर व बडगाम जिलों के हालात इस कानून को हटाने के लिए उचित हैं। राज्य की शीतकालीन राजधानी जम्मू में दरबार खुलने के मौके पर बुधवार को पत्रकारों से रूबरू हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने बारामूला, सोपोर और कुपवाड़ा से अफस्पा हटाने के लिए कभी नहीं कहा। केवल उन जगहों से विशेषाधिकार को वापस लिए जाने की बात कही गई है, जहां कई सालों से सेना ने कोई कार्रवाई नहीं की है।
जब सेना की कार्रवाई की जरूरत ही नहीं पड़ी है, तो फिर वहां उसे अफस्पा की क्या जरूरत? उमर ने कहा कि श्रीनगर से जब 40 बंकर हटाए गए थे, तब उसका विरोध हुआ था, लेकिन अब यह फैसला सही लग रहा है। कश्मीर में कुछ बड़े फैसले लेने के लिए साहस दिखाने का मौका आ गया है। इस मुद्दे को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम से मंगलवार शाम को टेलीफोन पर बात हुई है।
रक्षा मंत्रालय व सेना के अफस्पा हटाने पर सहमत न होने के मुद्दे पर उमर ने कहा कि बुधवार को एकीकृत कमान व निकट भविष्य में कैबिनेट की बैठक होगी। इन्हीं बैठकों में अफस्पा पर निर्णय लिए जाने की रूपरेखा तैयार होगी। नेकां कार्यकर्ता की संदिग्ध मौत की न्यायिक जांच कराने के मुद्दे पर उमर ने कहा कि वह राज्य हाईकोर्ट के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश से जांच नहीं कराना चाहते हैं। विपक्ष इस पर एतराज जता सकता है। सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज से इस मामले में जांच करवाने का मुद्दा उन्होंने केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद से उठाया है।
उन्होंने कहा कि राज्य में पंचायत चुनाव करवाना पिछले तीन साल के दौरान उनकी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि है। पाकिस्तान से बेहतर व्यापारिक रिश्तों की जरूरत पर बल देते हुए उमर ने कहा कि अगर पड़ोसी देश भारत को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा देता है तो इससे उसे फायदा होगा। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ताराचंद, राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य, मुख्यमंत्री के सलाहकार व राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह भी मौजूद थे।
No comments:
Post a Comment