श्रीनगर, 4 नवम्बर। सेना ने जम्मू-कश्मीर के विभिन्न हिस्सों से अफस्पा (सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून) हटाए जाने के मुद्दे पर वीरवार को अपनी नाइत्तेफाकी जाहिर कर दी। उत्तरी कमान के सैन्य प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल केटी परनायक ने कहा कि इसे हटाने से न सिर्फ आतंक निरोधी अभियान प्रभावित होगा बल्कि राज्य की ठीक हो रही विधि व्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर होगा।
उत्तरी कश्मीर में एलओसी से सटे टीटवाल (कुपवाड़ा) सेक्टर में हुए समारोह में परनायक ने कहा कि अभी हालात अफस्पा हटाने लायक नहीं हैं। इसके बिना सेना के अभियान प्रभावित होंगे। यहां सेना देश और जनता की सुरक्षा के लिए है। कुछ इलाकों से अफस्पा को बहाल हो रही विधि व्यवस्था के नाम पर हटाया जाता है तो उससे अन्य इलाकों में सेना व अन्य एजेंसियों का कामकाज प्रभावित होगा। इस साल गर्मियों में पूरी तरह शांति रही है, लेकिन यह अफस्पा हटाने का पैमाना नहीं हो सकता। अफस्पा हटाने का फायदा आतंकियों और उनके आकाओं व समर्थकों को होगा, आम आदमी को नहीं। जहां कहीं भी ज्यादती की शिकायत मिली, सेना ने संबंधित अधिकारियों और जवानों के खिलाफ कठोर कार्रवाई करते हुए उन्हें दंडित किया है।
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मुद्दे पर हमसे राय मांगी थी। हमने उन्हें अपने पक्ष से अवगत करा दिया है। हमें यह जरूर देखना चाहिए कि इसको हटाने का फैसला सियासी कारणों से लिया जा रहा है या सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए।
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