जम्मू। डोगरों के बहादुरी की कायल हुई राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल ने शुक्रवार शाम उल्लेखनीय योगदान के लिए आठ राज्यवासियों को डोगरा रत्न अवार्ड से सम्मानित किया। डोगरों की वीरता व राज्य की समृद्ध संस्कृति की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं का संगम जम्मू-कश्मीर, सांप्रदायिक सौहार्द का प्रतीक है। डोगरी को जीवंत भाषा करार देते हुए महामहिम ने कहा कि इसका तेजी से विकास हो रहा है।
राज्य की सीमओं को गिलगित बाल्तीस्तान तक ले जाने वाले डोगरा जनरल जोरावर सिंह की बहादुरी की सराहना करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डोगरा भूमि में वीरता, बलिदान, पवित्रता व नेतृत्व की भावना है। इससे पूर्व उन्होंने उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रो निलांबर देव, प्रो रीता जितेन्द्र, मेजर जनरल जगदीश सिंह जम्वाल, पूर्व सांसद धनराज बडगोत्रा, सुहेल काजमी व हीरा लाल वर्मा को डोगरा रत्न से सम्मानित किया। वहीं, सतपाल साहनी को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया।
इस मौके पर राष्ट्रपति के साथ डॉ. कर्ण सिंह, राज्यपाल एनएन वोहरा, चिकित्सा शिक्षामंत्री आरएस चिब, अवार्ड कमेटी के चेयरमैप प्रो एमआर पुरी व कमेटी के संस्थापक प्रो भीम सिंह भी मौजूद थे। अपने तेरह मिनट के भाषण में महामहिम ने विश्व में बसोहली व कांगड़ा पेंटिंग की लोकप्रियता, राज्य का नाम रोशन करने वाले कलाकारों, लेखकों का जिक्र करते हुए कहा कि क्षेत्र के निवासी डॉ. कर्ण सिंह अत्यंत ज्ञाणी व सुप्रसिद्ध विद्वान हैं। कार्यक्रम में महामहिम को डोगरा परिधान भी भेंट किया गया।
वहीं, राज्यपाल ने डोगरा विरासत के संरक्षण पर जोर दिया। राज्यपाल ने कश्मीर के रक्षक ब्रिगेडियर राजेन्द्र सिंह के योगदान की सराहना करते हुए जीवित परमवीर चक्र विजेता कैप्टन बाना सिंह की बहादुरी पर भी फº जताया। इससे पूर्व अवार्ड कमेटी के संस्थापक प्रो भीम सिंह ने देश की सीमाओं को बढ़ाने वाले डोगरा सैनिकों के साथ देश की एकता अखंडता को बरकरार रखने के लिए शहादते देने वाले राज्य के वीरों के योगदान पर प्रकाश डाला। अवार्ड कमेटी के चेयरमैन प्रो एमआर पुरी ने धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया, जबकि मंच संचालन मिताली गुप्ता ने किया।
No comments:
Post a Comment