नई दिल्ली। विश्वास बहाली के नए उपायों पर माथा-पच्ची कर रहे भारत और पाक नियंत्रण रेखा से व्यापार के मौजूदा ढांचे में बदलाव को लेकर रजामंदी की जमीन नहीं तलाश पाए। दोनों देशों के बीच सोमवार को नई दिल्ली में हुए बातचीत के बाद नियंत्रण रेखा के आर-पार व्यापार की व्यवस्था में बदलाव को लेकर अब भी असहमति के बिंदु बरकरार हैं। बैठक के बाद जारी साझा बयान के मुताबिक दोनों पक्षों ने नियंत्रण रेखा के आर-पार आवाजाही और व्यापार की मौजूदा व्यवस्था की समीक्षा की। एक दिनी वार्ता के दौरान सुधार के उपायों पर बातचीत और नए उपायों की अदला-बदली भी हुई, लेकिन किसी ठोस कदम का एलान नहीं हो सका।
उल्लेखनीय है कि बातचीत की मेज पर सरहद पार व्यापार के लिए समुचित बैंकिंग व्यवस्था कायम करना और व्यापार के लिए 21 कश्मीरी उत्पादों के वर्गीकरण जैसे उपाय शामिल थे। इसके अलावा नियंत्रण रेखा पर व्यापार बिंदुओं की संख्या दो से बढ़ाकर पांच करने और सीमा के दोनों ओर लोगों की आवाजाही को अधिक आसान बनाने के प्रस्ताव भी मेज पर थे।
विदेश मंत्रालय में पाकिस्तान संबंधी मामलों के संयुक्त सचिव वाईके सिन्हा ने जहां भारतीय प्रतिनिधिमंडल की अगुवाई की, वहीं पाकिस्तानी दल का नेतृत्व पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय में दक्षिण एशिया मामलों की महानिदेशक जेहरा अकबरी ने किया। गौरतलब है कि विश्वास बहाली की कोशिश में भारत ने बीते दिनों पाक अधिकृत कश्मीर से आने वाले यात्रियों के लिए परमिट को बढ़ाकर छह महीने करने का एलान कर चुका है।
दोनों देशों के बीच जारी वार्ता प्रक्रिया में नियंत्रण रेखा के दोनों ओर व्यापार और आवाजाही में रियायतों को ही फिलहाल विश्वास बहाली को ठोस और कारगर उपायों के तौर पर देखा जा रहा है। महत्वपूर्ण है कि इस महीने के अंत में दोनों देशों के बीच विदेश मंत्री स्तर वार्ता होनी है। इससे पहले गत दिनों दोनों देशों के विदेश सचिव भी मुलाकात कर चुके हैं। फरवरी 2011 में दोनों विदेश सचिवों की पिछली मुलाकात के बाद ही बातचीत की गाड़ी पटरी पर लौटाने की कवायद शुरू हुई थी।
(19 जुलाई 2011 दैनिक जागरण)
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