Thursday, July 21, 2011

कश्मीरियों का ‘हमदर्द’ ISI एजेंट निकला, समर्थक सन्न

वॉशिंगटन। अमेरिका में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए काम कर रहे कश्मीरी नेता की गिरफ्तारी ने बवाल मचा दिया है। कश्मीरी मूल के अमेरिकी नागरिक गुलाम नबी फाई की गिरफ्तारी से भारत में मौजूद कट्टरपंथी-अलगाववादी भड़क गए हैं। अलगाववादी संगठनों ने फाई को बेकसूर बताते हुए भारत और अमेरिका की आलोचना की है। वहीं देश की उन जानी-मानी हस्तियों से भी जवाब मांगा जाने लगा है जिन्होंने फाई द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंसों में शिरकत की। इनमें कश्मीर मुद्दे पर भारत सरकार के प्रमुख वार्ताकार दिलीप पडगांवकर, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस राजिंदर सच्चर, मशहूर पत्रकार कुलदीप नैय्यर और सामाजिक कार्यकर्ता गौतम नवलखा प्रमुख हैं।

फाई को मिलने वाले फंड का एक बड़ा हिस्सा कश्मीर पर आयोजित होने वाली इन अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में ही खर्च होता था। इस तरह के सेमीनार में हिस्सा लेने वाले ज़्यादातर लोगों को ये नहीं मालूम था कि फाई का आईएसआई के साथ क्या रिश्ता है। इन सभी की यात्राओं का पूरा खर्च फाई ने उठाया था।

इस मुद्दे पर बीजेपी प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि हमें इसमें कोई हैरानी नहीं है क्योंकि फाई की पहचान ही भारत विरोधी, पाक समर्थक और अलगाववादियों से निकटता रखने वाले व्यक्ति की है। ताज्जुब इस बात का है कि दिलीप पडगांवकर, कुलदीप नैय्यर, राजेंद्र सच्चर जैसे लोगों को उसकी असलियत कैसे पता नहीं लगी। किसी के मंच पर जाना तो ठीक है लेकिन उस शख्स की मेजबानी का लुत्फ उठाना तो आईएसआई की मेजबानी का लुत्फ उठाना हुआ। सारे देश को ये बात पता थी तो इनको कैसे नहीं पता थी। उम्मीद है कि ये खुलासा करेंगे।

इस मुद्दे पर दिलीप पडगांवकर ने सफाई देते हुए कहा है कि मैं 2005 में एक सेमिनार में शामिल हुआ था। अगर मुझे फाई के कनेक्शन का पता होता तो कभी उसमें शामिल नहीं होता। उस सेमिनार के बाद मैं न तो कभी फाई से मिला और न उससे कभी बात की। पडगांवकर ने कहा कि उन्होंने सेमिनार में शामिल होने की सहमति उसमें शामिल होने वाले दूसरे मेहमानों की लिस्ट देखकर दी थी। उन्हें फाई के आईएसआई कनेक्शन के बारे में कुछ नहीं पता था। उन्होंने कहा कि अगर जांच में उनके सहयोग की जरूरत हुई तो वो पूरा सहयोग करेंगे।

फाई की गिरफ्तारी से भड़के अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी ने कहा कि फाई के आईएसआई से लिंक की बात में सच्चाई नहीं है। फाई को अमेरिकियों से दान मिलता था। खासकर अमेरिका में रहने वाले कश्मीरी उनको पैसा देते थे। फाई ने तो अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के चुनाव अभियान के लिए भी पैसा दिया था।

गौरतलब है कि अमेरिका की संघीय जांच एजेंसी (एफबीआई) ने पाकिस्तानी मूल के अमेरिकी नागरिक 62 वर्षीय गुलाम नबी फाई को सोमवार को गिरफ्तार कर कश्मीर मामले पर भारत के खिलाफ अमेरिकी नीति को प्रभावित करने की दो दशकों से जारी साजिश का पर्दाफाश किया था। फाई अमेरिका में वर्जीनिया का निवासी है जबकि उसके साथ पकड़ा गया दूसरा आरोपी पाकिस्तानी मूल का जहीर अहमद भी अमेरिकी नागरिक है।

आईएसआई ने इन दोनों एजेंटों को दो दशकों के दौरान कथित तौर पर 40 लाख डॉलर मुहैया कराए। इन दोनों पर आरोप है कि उन्होंने अमेरिका में कश्मीरी आंदोलन को बढ़ावा देने के लिए लाखों डॉलर खर्च किए। फाई कश्मीरी अमेरिकन काउंसिल (केएसी) का कार्यकारी निदेशक है, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तानी सरकार द्वारा चलाया जा रहा था। अधिकारियों के मुताबिक यदि दोनों लोगों पर आरोप साबित हो जाएगा तो उन्हें पांच वर्ष की सजा हो सकती है।
(www.ibnkhabar.com

No comments:

Post a Comment