जम्मू (24/07/11)। त्याग का एक कदम कश्मीर में शांति बहाली के साथ पाकिस्तान तथा कश्मीर के लोगों में आपसी सहमति बनाने में मददगार साबित होगा। कश्मीर कमेटी ने यह निचोड़ पाकिस्तान की लीडरशिप तथा वादी के लोगों से बात करने के बाद निकाला है।
यह बात कश्मीर कमेटी के चेयरमैन राम जेठमलानी ने शनिवार का यहां पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने यह भी कहा कि वार्ताकारों की कवायद से भी कोई हल निकलने वाला नहीं है।
जेठमलानी ने कहा कि दोनों तरफ के लोग इस बात पर लगभग सहमत हैं कि दोनों ओर से अगर थोड़ा-थोड़ा त्याग किया जाता है तो इससे इस क्षेत्र में शांति स्थापित हो सकती है। इस त्याग का ब्यौरा न देते हुए जेठमलानी ने कहा कि वार्ता में इस मुद्दे को रखा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान तथा चीन के रिश्तों में अब कमी आ रही है। इससे पहले पाकिस्तान चीन के दबाव में आकर भारत के खिलाफ चलता रहा है।
कमेटी चेयरमैन ने कहा कि पाक-चीन के रिश्तों में कमी का लाभ भारत-पाक दोस्ती बढ़ाने में मददगार साबित होगा। जेठमलानी ने कहा कि कश्मीर कमेटी का मुख्य मकसद दोनों देशों को नो वार पैक्ट के लिए तैयार करना है।
इस मौके पर कमेटी सदस्य मधु केशवर ने कहा कि राजनीति से प्रेरित अलगाववाद राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में मतभेद पैदा कर रहा है। इससे राज्य की एकता और अखंडता को सबसे बड़ा खतरा है। केशवर ने लोगों में विश्वास बहाल किए जाने पर जोर दिया। उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि जम्मू के साथ भेदभाव होता है।
कश्मीर कमेटी का नाम बदलने की जरूरत
इससे पहले कश्मीर कमेटी के सदस्य जम्मू बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए। इसमें बार के सदस्यों तथा कमेटी ने आपस में विचारों का आदान-प्रदान किया। बार के प्रधान बीएस सलाथिया ने कहा कि कश्मीर कमेटी को इस बात को भी समझना चाहिए कि यह समस्या सिर्फ कश्मीर केंद्रित ही नहीं है।
सलाथिया ने सुझाव दिया कि पहले कश्मीर कमेटी का नाम बदल कर जम्मू, कश्मीर, लद्दाख कमेटी किया जाना चाहिए। प्रधान ने कहा कि जेठमलानी पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के कश्मीर फार्मूला से प्रेरित हैं। इसमें कश्मीर तथा लद्दाख पर कभी विचार नहीं किया गया। मधु केशवर ने सलाथिया के सुझाव का स्वागत किया और कहा कि कमेटी के नाम को बदले जाने की जरूरत है।
(www.bhaskar.com)
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