जम्मू। जम्मू-कश्मीर सरकार ने फौज के दखल और सूबे के 22 में से 20 जिलों में लागू सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) और अशांत क्षेत्र कानून (डीएए) खत्म करने का खाका तैयार कर लिया है। कैबिनेट सचिव अजीत कुमार सेठ के नेतृत्व में केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने रविवार को सूबे के अफसरों संग तीन घंटे तक बैठक कर अफस्पा-डीएए हटाने की औपचारिकताओं तय कीं। सब योजना के मुताबिक चला तो श्रीनगर,जम्मू, सांबा, गांदरबल, बडगाम और कठुआ जिले में एएफएसपीए स्वत: हट जाएगा, क्योंकि डीएए के तहत ही सेना को विशेषाधिकार प्राप्त हैं। कुछ जिलों से यह कानून पूरी तरह से हटेगा तो कुछ में चिन्हित इलाके ही इससे मुक्त होंगे। केंद्रीय प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल एनएन वोहरा से भी भेंट की और सुरक्षा हालात और विकास पर चर्चा की। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने कानून की समीक्षा के लिए दो कोर समूह बनाए हैं। पुलिस महानिदेशक कुलदीप खोडा और गृहसचिव बी आर शर्मा दोनों समूह में हैं जबकि 15 वीं कोर के कोर कमांडर कश्मीर और 16 वीं कोर के कोर कमांडर जम्मू पैनल के सदस्य हैं। हाल ही में राज्य सरकार व सेना के अफसरों ने घाटी के कुछ हिस्सों से डीएए हटाने के बारे में चर्चा की थी। इसे इन इलाकों से अफस्पा हटाने की भूमिका माना जा रहा है। बैठक में राज्य के पुलिस महानिदेशक, प्रमुख सचिव (गृह) और सेना की 15वीं कोर के कमांडर (कश्मीर घाटी में नियंत्रण रेखा पर निगरानी के प्रमुख) तथा लेफ्टीनेंट जनरल एस.ए.हसनैन विस्तार से विचार विमर्श किया। सूत्रों के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा कुछ क्षेत्रों से डीएए हटाने की अनुशंसा के बाद इस पैनल के फिर से बैठक करने की संभावना है। हाल ही में केंद्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने दिल्ली में मासिक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि यदि राज्य सरकार डीएए को वापस लेती है तो अफस्पा अपने आप खत्म हो जाएगा, जिसके तहत सेना कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ अभियान चलाती है। सेना द्वारा अफस्पा को जरूरी बताने और गत दो माह में 19 आतंकियों को मारे जाने का तर्क पेश किए जाने के बावजूद राज्य सरकार और केंद्रीय गृहमंत्रालय दोनों का मानना है कि कश्मीर घाटी में अब अफस्पा की जरूरत नहीं है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अफस्पा हटाने के संबंध में प्रतिनिधिमंडल से भेंट की खबरों का खंडन करते हुए कहा है कि इस बारे में केंद्र के वरिष्ठ अफसरों से मेरी मुलाकात की खबरें सही नहीं हैं। इससे पहले केंद्रीय दल ने राज्यपाल एनएन वोहरा से मुलाकात कर केंद्रीय विकास योजनाओं व सेना के विशेषाधिकारपर चर्चा की। प्रतिनिधिमंडल ने त्रिस्तरीय पंचायती राज की यथाशीघ्र बहाली, राज्य में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, बिजली और ग्राम विकास की केंद्र प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा की। इस दौरान काजीगुंड में निर्माणाधीन रेलवे सुरंग, चनैनी सुरंग के निर्माण और राष्ट्रीय राजमार्ग को 4-लेन बनाने की प्रक्रिया पर भी मंथन किया गया। बाद में राज्यपाल ने उनके सम्मान में एक भोज दिया। प्रतिनिधिमंडल में सेठ के अलावा केंद्रीय गृहसचिव आरके सिंह, रक्षा सचिव शशिकांत शर्मा के अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, रेलवे, ग्राम विकास मंत्रालयों के कैबिनेट सचिव व केंद्रीय योजना आयोग के अधिकारी भी शामिल हैं।
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