नई दिल्ली, 28 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों को सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) के दायरे से बाहर करने को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ऊहापोह में फंस गया है। एएफएसपीए के प्रावधानों को कमजोर करने की कोशिशों पर सेना के विरोध और कुछ इलाकों को इस कानून के दायरे से बाहर लाने की मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की घोषणा के बीच गृहमंत्री पी. चिदंबरम ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ स्थिति की समीक्षा की। वहीं सेनाध्यक्ष वीके सिंह ने पूरी जिम्मेदारी गृह मंत्रालय पर डालते हुए कुछ भी बोलने से इंकार कर दिया। एएफएसपीए पर जम्मू-कश्मीर में चल रही राजनीतिक हलचलों के बीच चिदंबरम ने राज्य की सुरक्षा स्थिति का जायजा लेने के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक बुलाई। अधिकारी इसके बारे में आधिकारिक रूप से कुछ भी बोलने के तैयार नहीं हैं, पर सूत्रों की माने तो इसमें एएफएसपीए का मुद्दा छाया रहा।
इसके साथ ही पिछले दिनों राज्य के दौरे पर गए गृह सचिव आरके सिंह ने ताजा स्थिति से गृहमंत्री को अवगत कराया, लेकिन बैठक में एएफएसपीए को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि एएफएसपीए में संशोधन के लिए केंद्र के विभिन्न मंत्रालयों के बीच सहमति बनाने की कोशिश चल रही हैं। तब तक किसी क्षेत्र में इसे हटाने का एकमात्र उपाय उस क्षेत्र को अशांत क्षेत्र की सूची से बाहर करना है। उन्होंने कहा कि एएफएसपीए पर अकेले गृह मंत्रालय कोई फैसला नहीं ले सकता। राज्य के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को इस स्थिति से अवगत करा दिया गया है। उनके अनुसार यह राज्य सरकार पर निर्भर है कि वह किसी क्षेत्र को अशांत मानता है या नहीं। सुरक्षा विशेषज्ञों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में सेना, अर्द्धसैनिक बलों और राज्य पुलिस की संयुक्त कमांड के कारण किसी क्षेत्र को अशांत क्षेत्र की श्रेणी से बाहर लाना अकेले राज्य सरकार के लिए संभव नहीं है। इसके लिए अंतिम फैसला संयुक्त कमांड में ही लिया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment