नई दिल्ली/जम्मू। अपनी ही पार्टी के कार्यकर्ता की पुलिस हिरासत में मौत से मुश्किलों में फंसे जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला आतंकवादग्रस्त राज्य के कुछ इलाकों को सैन्य विशेषाधिकार से बाहर लाने के लिए उन्हें अशांत क्षेत्र के दायरे से बाहर ला सकते हैं। केंद्रीय गृहमंत्री पी चिदंबरम से मुलाकात के बाद उमर ने इसके संकेत दिए। उन्होंने केंद्र द्वारा नियुक्त तीन वार्ताकारों की रिपोर्ट को समय से उठाया गया कदम बताया। वार्ताकार बुधवार को अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को देंगे।
गृहमंत्री से मुलाकात के बाद उमर अब्दुल्ला ने कहा कि राज्य के कुछ जिलों को अशांत क्षेत्र के दायरे से बाहर लाने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। एक बार अशांत क्षेत्र के दायरे से बाहर आने के बाद ये इलाके सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (एएफएसपीए) के दायरे से भी बाहर सकेंगे।
दरअसल उमर एएफएसपीए में संशोधन कर अशांत क्षेत्र में तैनात सेना को मिले विशेषाधिकारों में कटौती करवाना चाहते थे। लेकिन चिदंबरम ने साफ कर दिया कि पिछले एक साल की मशक्कत के बाद भी इस मुद्दे पर विभिन्न मंत्रालयों के बीच मतभेद को दूर नहीं किया जा सका है और इस पर एक राय बनाने में अभी वक्त लगेगा। इसके बाद ही अशांत क्षेत्र के दायरे अपेक्षाकृत शांत इलाकों को बाहर लाकर वहां से एएफएसपीए पूरी तरह हटाने का फैसला किया गया। मुख्यमंत्री उमर अब्दुला ने केंद्रीय वार्ताकारों की रिपोर्ट के मद्देनजर उम्मीद जताई कि केंद्र सरकार जल्द ही उस पर विचार के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाएगी । पिछले साल 12 अक्टूबर को घाटी का पहला दौरा करने वाले तीनों वार्ताकार ठीक एक साल बाद बुधवार को अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को देंगे। दिलीप पडगांवकर, राधा कुमार और एमएम अंसारी तीनों वार्ताकारों ने फिलहाल रिपोर्ट के बारे में बोलने से इंकार कर दिया है।
(12 अक्तूबर 2011, दैनिक जागरण)
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