Saturday, October 29, 2011

कांग्रेस का आरोप निराधार : फारूक


श्रीनगर। केंद्रीय नव अक्षय ऊर्जा मंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने राज्य के विभिन्न हिस्सों से अफस्पा हटाए जाने पर कांग्रेस को विश्वास में न लिए जाने के मुख्यमंत्री उमर पर लगे आरोपों को निराधार बताया है। उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला लगातार केंद्रीय गृहमंत्री से संवाद बनाए हुए हैं। इससे ज्यादा प्रो. सैफुद्दीन सोज को क्या चाहिए। गौरतलब है कि प्रदेश कांग्रेस प्रमुख प्रो. सोज ने गत दिवस आरोप लगाया था कि राज्य के विभिन्न हिस्सों से अफस्पा हटाए जाने के मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को विश्वास में नहीं लिया है। शु
क्रवार को यहां एक समारोह में पत्रकारों से डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि अफस्पा को लेकर कांग्रेस के साथ किसी भी तरह का मतभेद नहीं है। मैं नेशनल कांफ्रेंस का अध्यक्ष हूं और प्रो. सोज प्रदेश कांग्रेस प्रमुख। उन्होंने आज तक कभी मुझसे बातचीत की जरूरत महसूस नहीं की है। अब बताएं कि वह कितना समन्वय गठबंधन में शामिल दलों में बनाए रखने को लेकर चिंतित हैं। जब मुख्यमंत्री बार-बार कह रहे हैं कि केंद्रीय गृहमंत्री से इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है। उनके साथ संपर्क बनाए रखा है तो फिर और कौन सा समन्वय हो सकता है।

सुरक्षा कोर समिति की बैठक में अफस्पा पर चर्चा नहीं
श्रीनगर। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सुरक्षा सलाहकार सेना की 15वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सैय्यद अता हसनैन की अध्यक्षता में शुक्रवार को कश्मीर संभाग में सुरक्षा व्यवस्था के लिए गठित सुरक्षा कोर समिति की एक बैठक हुई। सूत्रों ने बताया कि इसमें राज्य पुलिस महानिदेशक व कश्मीर में सक्रिय विभिन्न केंद्रीय अर्धसैनिकबलों व सुरक्षा एजेंसियों के प्रमुख अधिकारी और राज्य गृह एवं पुलिस प्रशासन के आलाधिकारियों ने भाग लिया। सूत्रों ने बताया कि इस बैठक में राज्य के विभिन्न हिस्सों से अशांत क्षेत्र अधिनियम और अफस्पा हटाए जाने के मुद्दे पर कोई चर्चा नहीं हुई। बैठक में हाल ही में वादी में आतंकी गतिविधियों में आई तेजी और निकट भविष्य में सीमा पार से घुसपैठ के प्रयासों में बढ़ोतरी की आशंका को देखते हुए वादी में सुरक्षा व्यवस्था की रूपरेखा तय की गई। हसनैन ने सुरक्षा एजेसियों में व्यापक तालमेल बनाने पर जोर दिया। पुलिस महानिदेशक कुलदीप खुड्डा ने इस दौरान दरबार मूव को लेकर किए गए सुरक्षा प्रबंधों पर भी रोशनी डाली।

 अफस्पा पर हंगामा
श्रीनगर। उम्मीद के अनुरूप शुक्रवार को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में अशांत क्षेत्र अधिनियम (डीएए) और सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) पर खूब हंगामा हुआ। राजस्व मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता रमन भल्ला ने कैबिनेट को विश्वास में लिए बगैर उमर के अफस्पा हटाने के ऐलान पर एतराज जताते हुए कहा कि यह आपत्तिजनक है। बाद में बात सुरक्षा एजेंसियों से मिलने वाली रिपोर्ट और उसे केंद्र को भेजने की आम राय पर खत्म हुई। अलबत्ता, इस बहस के बीच बहुप्रतीक्षित प्रशासनिक फेरबदल भी टल गया। बैठक सिर्फ दरबार मूव में शामिल कर्मियों के भत्तों में बढ़ोतरी और जनसुरक्षा अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश को मंजूरी देने तक ही सीमित रही।
श्रीनगर में सुबह हुई कैबिनेट बैठक के एजेंडे में हालांकि डीएए और अफस्पा का मुद्दा नहीं था, लेकिन इसपर सियासत में आई तेजी का असर साफ नजर आया। सूत्रों के अनुसार उमर अब्दुल्ला ने जब अफस्पा के मुद्दे को उठाते हुए राज्य में इस कानून की वैधानिक स्थिति पर रोशनी डालनी चाही तो राजस्व मंत्री रमन भल्ला ने इसपर एतराज जताया। राजस्व मंत्री ने कहा कि इस कानून  को अगर कुछ हिस्सों से हटाना जरूरी है तो कांग्रेस को कोई एतराज नहीं, लेकिन जिस तरह से मुख्यमंत्री ने कैबिनेट को विश्वास में लिए बगैर इसका ऐलान किया, वह ठीक नहीं।
राजस्व मंत्री को उमर का विरोध करते देख नेशनल कांफ्रेंस के मंत्री भी बहस में कूद पड़े। अलबत्ता, उमर ने स्थिति को फौरन संभाल लिया। उन्होंने कहा कि अभी उपमुख्यमंत्री ताराचंद भी बैठक में मौजूद नहीं है। इस मुद्दे पर हम सभी के साथ आम राय बना रहे हैं। इस पर जम्मू में होने वाली अगली बैठक में ही चर्चा करेंगे और उसके बाद तय करेंगे कि क्या करना है।सूत्रों ने बताया कि बैठक में तय हुआ कि अफस्पा और डीएए के मुद्दे पर राज्य सरकार सेना व अन्य केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों की रिपोर्ट का इंतजार करेगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही राज्य सरकार केंद्र सरकार से संबंधित कानून को हटाने की सिफारिश करेगी।
सनद रहे कि एक दिन पहले ही कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष प्रो. सैफुद्दीन सोज ने भी अफस्पा पर उमर के ऐलान पर कड़ा एतराज जताया था। अफस्पा को लेकर हुई बहस के बीच बने तनाव को देखते हुए बैठक में प्रशासनिक फेरबदल पर भी चर्चा नहीं हुई। अलबत्ता, चर्चा सिर्फ दरबार मूव में शामिल कर्मचारियों के भत्ते पर ही हुई। कैबिनेट ने दरबार मूव कर्मियों को दीपावली के साथ सात नवंबर को आ रही ईद का तोहफा एक साथ देते हुए उन्हें हर माह मिलने वाले टेंपरेरी एलाउंस को पहली अक्तूबर से 650 रुपये से बढ़ाकर डेढ़ हजार प्रति माह कर दिया। इसके साथ ही उन्हें दरबार मूव के समय दिए जाने वाले यात्रा भत्ते को भी पहली अक्तूबर 2011 से छह हजार से बढ़ाकर दस हजार कर दिया। इसके अलावा कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर जनसुरक्षा अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश 2011 को भी लागू करने के प्रस्ताव पर सहमति की मुहर लगाई। इसके तहत अब राज्य में किसी भी नाबालिग को जनसुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी नहीं बनाया जा सकेगा। इसके अलावा अब इस कानून के तहत छह माह से ज्यादा समय तक बिना मुकदमे के बंदी नहीं बनाया जा सकता।
अलबत्ता, इस अवधि में समय-समय पर बढ़ोतरी का प्रावधान है। इसके अलावा पीएसए अथवा जन सुरक्षा अधिनियम के तहत बंदी बनाए जाने वाले को उसके खिलाफ आरोपों की पूरी जानकारी उसी भाषा में दिए जाने का प्रावधान है, जिसे वह समझता हो। उससे पूछताछ करने वाले अधिकारी को संबंधित व्यक्ति की भाषा का ज्ञान होना चाहिए। मुख्यमंत्री को मिला.. ही उन्होंने साफ किया कि अफस्पा हटाए जाने के बाद भी सीआरपीएफ को कुछ विशेष संरक्षण जरूर मिलना चाहिए। यह गृह मंत्रालय को तय करना है कि अफस्पा के हटने के बाद वहां केंद्रीय बलों को संरक्षण किस तरह सुनिश्चित किया जाए।
सीआरपीएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अलावा देश के दूसरे भागों में भी आपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता के तहत उन्हें संरक्षण मिला हुआ है। इसके अनुसार ऑपरेशन में लगे जवानों के खिलाफ कोई भी मुकदमा बिना गृह मंत्रालय की इजाजत के नहीं चलाया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर में भी इसी तरह की व्यवस्था होनी चाहिए। जम्मू-कश्मीर के कुछ भागों से अफस्पा हटाए जाने का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि इससे वहां जनता में विश्वास बहाली में सहयोग मिलेगा।

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