श्रीनगर। बहुप्रतिक्षित, बहुचर्चित केंद्रीय वार्ताकारों का कश्मीर समस्या को सुलझाने का नुस्खा बुधवार को केंद्रीय गृहमंत्री को मिल जाएगा। अलबत्ता, इसमें अलगाववादियों की राय उनके देश विरोधी बयानों के आधार पर ही शामिल होकर दवा का हिस्सा बनेगी। यह दावा वार्ताकार दल के प्रमुख दिलीप पडगांवकर ने दैनिक जागरण के साथ मंगलवार शाम को टेलीफोन पर बातचीत के दौरान किया। अलबत्ता, उनके नुस्खे को लेकर कहीं उम्मीद तो कहीं निराशा के भाव भी साफ नजर आ रहे हैं।
पडगांवकर ने कहा कि हमने अपनी रिपोर्ट में कश्मीर समस्या से संबंधित सभी पहलुओं, सभी पक्षों और लोगों की उम्मीदों को शामिल किया है। हमने कश्मीर समस्या के हल के लिए एक फार्मूला अथवा रोडमैप तैयार किया है। उस पर अमल करना या न करना केंद्र सरकार का अधिकार है। यह पूछे जाने पर कि अलगाववादियों ने उनसे कोई मुलाकात नहीं की है और फिर वह उनके पक्ष को कैसे अपनी रिपोर्ट में स्थान दे रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि आप अलगाववादियों की उपेक्षा नहीं कर सकते। यह सही है कि हमारी उनसे कोई मुलाकात नहीं हुई है। लेकिन हमने बीते एक साल के दौरान कश्मीर मुद्दे पर उनके द्वारा जारी बयानों का गहनता से अध्ययन किया है और उसके आधार पर एक राय तैयार की है। गौरतलब है कि कश्मीर घाटी में वर्ष 2010 के दौरान वादी में हुए हिंसक प्रदर्शनों और अलगाववादियों के सिलसिलेवार बंद के मद्देनजर पैदा हुए हालात का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री के नेतृत्व में कश्मीर भेजे गए सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के सिफारिश पर ही तीन सदस्यीय वार्ताकार दल का गठन किया था। पत्रकार दिलीप पडगांवकर, शिक्षाविद् राधा कुमार व पूर्व सूचनायुक्त एमएम अंसारी इस दल में शामिल हैं। इस दल को राज्य के विभिन्न वर्गां के साथ बातचीत कर कश्मीर समस्या के सर्वमान्य हल को तलाशना और उन्हें बातचीत की एक मेज पर लाने का जिम्मा सौंपा गया था।
(12 अक्तूबर 2011, दैनिक जागरण)
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