नई दिल्ली में बुधवार को गृहमंत्री पी. चिदंबहरम को रिपोर्ट सौंपते जम्मू-कश्मीर के वार्ताकार |
गृहमंत्री से मिलने के बाद तीनों वार्ताकारों दिलीप पडगांवकर, एमएम अंसारी और राधा कुमार ने रिपोर्ट के तथ्यों के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया। एक वार्ताकार ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, हालांकि रिपोर्ट में सूबे को और स्वायत्तता देने की सिफारिश की गई है, लेकिन यह स्वायत्तता 1953 के पहले जैसी नहीं हो सकती है। पडगांवकर ने कहा, रिपोर्ट में जनता की भलाई को केंद्र में रखा गया है और स्थायी शांति बहाली का रोडमैप दिया गया है।
वार्ताकारों को हुर्रियत नेताओं से नहीं मिलने का मलाल भी है। वैसे पडगांवकर ने रिपोर्ट में अलगाववादियों के घोषित रुख को स्थान देने का दावा करते हुए स्वीकारा, अलगाववादियों से सीधी बातचीत होने पर रिपोर्ट और बेहतर हो सकती थी। वैसे पडगांवकर ने वार्ताकारों के बातचीत से इंकार करने के फैसले को बड़ी भूल करार देते हुए कहा कि उनकी बस छूट गई है। एक साल की तय समय सीमा में रिपोर्ट देने पर खुशी जाहिर करते हुए चिदंबरम ने वार्ताकारों से सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की बैठक में मौजूद रहने का अनुरोध किया, जिसे तीनों ने मान लिया। वैसे वार्ताकारों ने प्रतिनिधिमंडल में विचार-विमर्श के बाद रिपोर्ट को सार्वजनिक करने का आग्रह किया, ताकि इस पर व्यापक बहस हो सके।
गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, रिपोर्ट की प्रति जल्द प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को भेज दी जाएगी। पिछले साल सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के जम्मू-कश्मीर दौरे के बाद दिए गए सुझावों के बाद केंद्र सरकार ने सूबे में स्थायी शांति का रास्ता सुझाने के लिए तीन वार्ताकारों को नियुक्त किया था।
No comments:
Post a Comment